Book Title: Srngaramanjari Katha
Author(s): Bhojdev, Kalpalata K Munshi
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

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Page 21
________________ Jain Education International SINGHI JAIN SERIES 1 [Syngāramañjari Kathā दाविदवासितवायवसंतसमायपरिपतयमननया काहाक्तिभावानरामायनी मंडगाडाविरलविरलमावलमुकफलसालिसा बारमंजरीजालाकखानगरमणीकायाललावा पाल माविषविगलिनयायसमक्षकसमकमाप्रियतमनियातलादीदशन छदायासादारखसमभिवापाटलापमानका मादबधिमेदतामाप्रयामलयानिालखाबालामऊत्पादकिमपिकिमपि। नालाश्यतिवएतणीयतामेरा वीडासरतमासा हरियकरतयामेदमंदमविदकरणानावरचतिमनतरान्चनजारकार गावाश्यस्मिनलाधिवविरलदिरालासंसमिसमलिकासकालसदालाबलनकालामाचलतमाश्यात खलासा मशिलिलविशाशनिशानायाडिमाशादयतिमा दिनरननिस्तापितमाइलस्या For Private & Personal Use Only First side of the second page from which the text begins. वादियघानामित यानिहनिर्मडाइवनिक्षय मित्यशिक्षितसुवामपलयंदवा निःसारिता यदि खात्मानावित्रयस्कियूमयापविमलयादवदाया 'तरतिमरिसरागतातदिह पवितरिवाशागय शिवि सांगायकीवातापवेदरियागांगसुशिननादीनिधि तिमसामाक्षिराजपनामचरशासानादवविरचित पालिकादशानिहरिनातनवनिर्मठतासाटेम्पमलिक्षित संदलामकिविघीयता सूपतिरुया विनिमश्रियमतिमाधिसमयिसमागावलयानदीयदाहानतमगील ल/ पकाताअनंतक विवागतानस्यसमागविधामानिमामसविधायनिःसारिया नावादेविसरतामापायरसविप्रावणामबाप्रयायाधिसबनायादिमितविक आगारुदतीततेविनाशिनारामाविशिमामायूरामविशावलीमरतिदिन नायासमोरनरीकधायानरचर्मकवानिकारागाध्यमशिन्यवाद www.jainelibrary.org Folio 59b showing the colophon of the 4th tale.

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