Book Title: Sindur Prakar Author(s): Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 8
________________ पुरषने शुक्तिमनी १७१-३१७१-१२१७३- ए१७५-- - १७५-२०१९५-३२०६-६२०७-३२०ए-१ए२१-१५शए-१५ ए-१०२३३-१२२३०- ४२६०-१४३०५-१६३०३-- - ३१५-११३१०-१३६१-१५- शुद्धिपत्र. (अपत्यय के०) (अप्रत्यय के०) आसत्य असत्य पुरुषने शुक्तिमती जूदा जूदा गुनवनकां गुनवनकों वनवा वनना विश्रामन्नुः, विश्रामन्नूः, क्रीडगृह मित्यर्थ क्रीडागृहमित्यर्थ (धर्म के० ) (धर्म के०). तेना तेनो गणोतो गण तो करति करतूति दूरतोमुंज दूरतोमुंच यशश्चयादि यशश्चयादि (वीनगाश्व के०) (नीनगाईव के०) धूमस म्हनी धूम समूह नी शुनाशुनकर्मज शुनाशुनकर्मजे हेतका हेतकों वेराग्य वैराग्यPage Navigation
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