Book Title: Siddhhem Balavbodhini Part 02
Author(s): Mahimaprabhsuri
Publisher: Mahimaprabhvijay Gyanmandir Trust
________________
શ્રી સિદ્ધહેમશબ્દાનુશાસનસૂત્રાકારાઘનુક્રમણિકા | પ૮પ
सूत्रम् । सूत्राङ्क । ज्याव्येध्यधि० ॥४-१-७१ ॥ ज्योतिरायु० ॥ २-३-१७ ॥ ज्योतिषम ॥६-३-१९९ ॥ ज्योत्स्नादि० ॥ ७-२-३२ ॥ ज्वलह्वल० ॥ ४-२-३४ ॥ ज्ञः ॥३-३-८२ ॥ ज्ञाप्याषो० ॥ ४-१ १६ ॥ ज्ञानेच्छार्चा० ॥ ३-१-८६ ॥ ज्ञानेच्छार्थि०॥ ५-२-९२ ॥ ज्ञीप्सास्थेये ॥ ३-३-६४ ॥ शोऽनुपसर्गात् ॥ ३-३-९६ ॥ विरुणमोर्वा ॥ ४-४-१०६ ॥. जिचते पद० ॥ ३-४-६६ ॥ ठिणवि घन् ॥ ४-३-१०१ ॥ जिदार्षादणिोः ॥६-१-१४०॥ णिति ॥ ४-३-५० ॥ णितिघात् ॥ ४-३-१०० ॥ टःपुंसि ना ॥ १-४-२४ ॥ टनण ॥५-१-६७ ॥ टस्तुल्यदिशि ॥ ६-३-२१० ॥ टाङसोरिनस्यौ ॥ १-४-५॥ टायोसि यः ॥ २-१-७ ॥ टादौ स्वरे वा ॥१-४-९२॥ टौस्यनः ॥ २-१-३७ ॥ टौस्येत् ॥ १-४-१९ ॥
। सूत्रम् । सूत्राङ्क । ट्धेध्राशा० ॥ ४-३-६७ ॥
धेश्वेर्वा ॥ ३-४-५९ ॥ ट्वितोऽथुः ॥ ५-३-८३ ॥ उकश्चाष्टा० ॥ ६-४-८४ ॥ डतरडतमौ० ॥ ७-४-७६ ॥ डतिष्णः-लुप् ॥ १-४-५४ ॥ डत्यतु० ॥ १-१-३९ ॥ डाच्यादौ ॥ ७-२-१४९ ॥ डाचलोहिता० ॥ ३-४-३० ॥ डित्यन्त्यस्वरादेः॥२-१-११४॥ डिद्वाण ॥ ६-२-१३६ ॥ डिन् ॥ ७-१-१४७ ॥ डीयशव्यदितः ॥४-४-६१॥ ड्नः सः त्सो० ॥ १-३-१८॥ ड्वितस्त्रिमा० ॥ ५-३-८४॥ स्तढड्ढे ॥ १-३-४२॥ णकतचौ ॥ ५-१-४८ ॥ णश्च विश्रवसो० ॥६-१-६५॥ णषमसत्परे० ॥ २-१-६० ॥ णस्वराघोषा० ॥ २-४-४॥ णोवज्ञाने गमुः ॥ ४-४-२४॥ णिज्बहुलं-षु ॥ ३-४-४२ ॥ णिद्वान्त्यो णत् ॥ ४-३-५८ ॥ णिन् चावश्यका० ॥५-४-३६॥ णिवत्त्यास-नः ॥५-३-१११॥
Page Navigation
1 ... 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648