Book Title: Siddhhem Balavbodhini Part 02
Author(s): Mahimaprabhsuri
Publisher: Mahimaprabhvijay Gyanmandir Trust

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Page 631
________________ ११६ ] सिम - Mail सूत्रम् । सूत्राङ्क। सूत्रम्। मूत्राङ्क । वाय्वृतुषित० ॥ ६-२-१०९ ॥ विंशत्यादेर्वा० ॥ ७-१-१५६ ।। वारे कृत्वस् ॥ ७-२-१०९ ॥ । विकर्णकुषीत ॥ ६-१-७२ ॥ वार्धाच ॥ ७-३-१०३ ॥ विकणेच्छगला ॥६-१-६४॥ वा लिप्सायाम् ॥३-३-६१ ॥ विकारे ॥६-२-३० ॥ वाल्पे ॥ ७-३-१४६ ॥ विकुशमिपरेः० ॥२-३-२८ ॥ वावाप्यो-पी॥ ३-२-१५६ ॥ विचारे पूर्वस्य ।। ७-४-९५ ।। वा वेत्तेः वसुः ॥५-२-२२. ॥ विचाले च ॥ ७-२-१०५ ॥ वा वेष्टचेष्टः ॥४-१-६६ ॥ बिच्छो नः ॥ ५-३-८६ ॥ वाशिन आयनौ ॥७-४-४६॥ विजेरिट् ॥ ४-३-१८॥ वाश्मनो विकारे ॥७-४-६३॥ विलं धन० ॥ ४-२-८२ ॥ वा श्रन्थग्रन्थो० ॥४-१-२७॥ विददम्भ्यः ॥५-४-५४ ॥ वाऽश्वादीयः ॥ ६-२-१९ ॥ विद्यायोनिसम्ब० ॥६-३-१५०॥ वाष्टन आः० ॥ १-४-५२ ॥ विधिनिमन्त्रणा ॥५-४-२८॥ बासुदेवार्जुन० ॥६-३-२०७॥ विध्यत्यनन्येन ॥ ७-१-८ ॥ वा स्वीकृतौ ॥ ४-३-४० ॥ विनयादिभ्यः ॥७-२-१६९॥ वाहनात् ॥ ६-३-१७८ ॥ विना ते० ॥२-२-११५ ॥ वाहपत्यादयः ॥ १-३-५८ ॥ विनिमेयद्यत० ॥२-२-१६ ॥ वाहीकेषु० ॥ ६-३-३६ ॥ विन्द्विच्छू । ५-२-३४ ।। वाहीकेष्व० ॥७-३-६३ ।। विन्मतोर्णीष्ठे० ॥ ७-४-३२ ॥ वा हेतुसिद्धों क्तः ॥५-३-२॥ विपरित्रात्सतः ॥५-२-५५ ॥ वाहापथ्युप० ॥६-३-१७९ ॥ विभक्तिथ-भाः ॥ १-१-३३ ॥ वाह्याद्वाहनस्य ॥२-३-७२ ॥ विभक्तिस-यम् ॥३-१-३९ ।। विंशतिकात ॥६-४-१३९॥ | विभाजयित० ॥ ६-४-५२ ।। विशते-ति ॥ ७-४-६७ ॥ | विमुक्तादेरण् ॥ ७-२-७३ ।। विंशत्यादयः ॥ ६-४-१७३ ॥ । वियः प्रजने ॥ ४-२-१३ ॥

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