Book Title: Siddhhem Balavbodhini Part 02
Author(s): Mahimaprabhsuri
Publisher: Mahimaprabhvijay Gyanmandir Trust

Previous | Next

Page 640
________________ શ્રી સિદ્ધહેમચન્દ્રશબ્દાનુંશાસનસૂત્રાકારાઘનુક્રમણિકા [ ૬૨૫ सूत्रम | सूत्राङ्क । सप्तमीचोर्ध्व० ॥ ५-३-१२ ॥ सप्तमीचोके ॥ ५-४-३० ॥ सप्तमीद्वितीभ्यः ॥७ते२-१३४॥ सप्तमी यदि ॥ ५-४-३४ ॥ सप्तमी शौण्डाद्यैः ॥३-१-८८॥ सप्तम्यधिकरणे ॥२-२-९५॥ सप्तम्यर्थे त्तिः ॥ ५-४-९ ॥ सप्तम्याः ॥ ५-१-१६९ ॥ सप्तम्याः ॥ ७-२-९४ ॥ सप्तम्या आदि: ॥ ७-४-११४॥ सप्तम्याः पूर्वस्य ॥७-४-१०५॥ सप्तम्या वा ॥ ३-२-४ ॥ सप्तम्युताप्यो० ॥ ५-४-२१॥ . सब्रह्मचारी ॥ ३-२-१५० ॥ समः क्ष्णोः ।। ३-३-२९ ।। समः ख्यः ।। ५-१-७७ ॥ समः पृचै० ॥ ५-२-५६॥ समजनिपन्नि० ॥ ५-३-९९॥ समत्यपाभिरः ।। ५-२-६२ ॥ समनुव्यवा० ॥ ५-२-६३ ॥ समयात्प्राप्तः ॥ ६-४-१२४ ॥ समयाद्यायाम् ॥७-२-१३७॥ समर्थः पदविधिः॥ ७-४-१२२ ।। समवान्धात्० ॥ ७-३-८० ॥ सूत्रम् । "सूत्राङ्क । सति ।। ५-२- १९ ॥ सतीच्छार्थात् ॥ ५-४-२४ ॥ सतीर्थ्यः ॥ ६-४-७८ ॥ सत्यागदास्तो० ॥३-२-११२॥ सत्यादशपथे ।। ७-२-१४३ ॥ सत्यार्थवदेस्याः ॥ ३-४-४४ ॥ सत्सामीप्ये० ।। ५-४-१ ॥ सदा धुने - हि ॥ ७–२–९६ ॥ सोऽप्रतेः ॥२-३-४४ ॥ सद्योऽद्य - ॥ ७-२-९७ ॥ सनस्तत्रा वा ॥ ४-३-६९ ॥ सनि ।। ४-२-६१ ॥ सनीङव ॥ ४-४-२५ ॥ सन्भिक्षाशंसेरुः ॥ ५-२-३३ ॥ सन्महत्परमो० ॥ ३-१-१०७ ॥ सन्यङश्च ॥ ४-१-३॥ सन्यस्य ॥ ४-१-५९ ॥ सपन्त्यादौ ॥ २-४-५० ॥ सपत्रनिष्पत्रा० ॥ ७–२–१३८ ॥ सविण्डे वयः० ॥ ६-१-४ ॥ सपूर्वात् द्रा ।। २-१-३२ ॥ सपूवादिकण् ॥६- ३-७० ॥ सप्तमी - महि ॥ ३-३-७॥ सप्तमीचा - णे ॥ २-२-१०९ ॥ ४०

Loading...

Page Navigation
1 ... 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648