Book Title: Siddhhem Balavbodhini Part 02
Author(s): Mahimaprabhsuri
Publisher: Mahimaprabhvijay Gyanmandir Trust

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Page 643
________________ १२८ सिम - पामोधिनी सूत्रम्। सूत्राङ्क। सूत्रम्। सूत्राङ्क। सुखादेः ॥ ७-२-६३ ॥ सूयत्याद्योदितः ॥४-२-७० ॥ सुखादेरनुभवे ॥ ३-४-३४ ॥ | सूर्यागस्त्ययो० ॥ २-४-८९ ॥ मुगदुर्गमाधारे ॥५-१-१३२॥ | सूयाद्देवतायां वा ॥२-४-६४॥ सुगः स्यसनि ॥ २-३-६२ ॥ सृग्लहः प्रज० ॥ १-३-३१ ॥ सुग द्विषाहः ।।५-२-२६॥ सृघस्यदो० ॥ १-२-७३ ॥ सुचो वा ॥ २-३-१० ॥ • रमृजः श्राद्धे० ॥ ३-४-८४ ॥ सुज्बाथै० ॥ ३-१-१९ ॥ स्मृजिशिस्कृ० ॥ ४-४-७८ । सुतंगमादे० ॥ ६-२-८५ ॥ सृजीणनश० ॥५-२-७७ ॥ सुदुभ्यः ॥ ४-४-१०८ ॥ सेः स्वाञ्च रुवा ॥४३-७९ ॥ सुपन्ध्यामा० ॥ ६-२-८४ ॥ सेट क्तयोः ॥ ४-३-८४ ॥ सुपूत्युत्सु० ॥ ७-३-१४४ ॥ सेड्नानिटा ॥ ३-१-१०६ ॥ सुप्रातसुश्व० ॥ ७-३-१२९ ॥ | सेनाङ्गक्षुद्र० ॥३-१-१३४ ॥ सुभ्रवादिभ्यः ॥ ७-३-१८२ ॥ सेनान्तका० ॥ ६-१-१०२ ॥ सुयजोय ॥ ५-१-१७२ ॥ सेनाया वा ॥ ६-४-४८ ।। सुयाम्नः सौवी० ॥६-१-१०३॥ सेनासे० ॥ ४-२-७३ ॥ सुरासीयो० ॥ ५-१-७७ ॥ । सनिवासादस्य ॥६-३-२१३॥ सुवर्णकाष० ॥ ६-४-१४३ ॥ सोदर्य समा० ॥ ६-३-११२॥ सुसवाद्धा० ॥ ७-४-१५ ॥ सोधि वा ॥ ४-३-७२ ॥ सुसख्यात ॥ ७-३-१५० ॥ सोमारसुगः ॥ ५-१-१६३ ॥ सुस्नातादि० ॥ ६-४-४२ ॥ सोरुः ॥ २-१-७२ ॥ मुहस्ति तृण० ॥ ७-३-१४२ ॥ सो वा लुक च ॥३-४-२७॥ सुहृदुहेन्० ॥ ७-३-१५७ ॥ सोऽस्य ब्रह्म० ॥६-४-११६॥ सूक्त साम्नो० ॥ ७-२-७१ ॥ । सोऽस्य भृति० ॥६-४-१६८॥ सूतः पञ्चम्याम् ॥४-३-१३ ॥ सोऽस्य मुख्यः ॥७-१-१९० ॥ सूत्राद्धारणे ॥ ५-१-२३ ॥ । सौ नवेतौ ॥ १-२-३८ ॥

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