Book Title: Siddhhem Balavbodhini Part 02
Author(s): Mahimaprabhsuri
Publisher: Mahimaprabhvijay Gyanmandir Trust

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Page 639
________________ १२४ ] सिम - मायावसापिनी सूत्रम। सूचाङ्क। सूत्रम्। सूत्राङ्क। संख्या समाहारे० ॥३-१-९९॥ संभावने सिद्धवत् ॥५-४-४॥ संख्यासायचा ॥ १-४-५० ॥ संमत्यसू-तः ॥ ७-४-८९ ।। संख्यासंभ-र्च । ६-१-६६ ॥ संमदप्रमदो० ॥५-३-३३ ॥ संख्याहर्दिधा० ॥५-१-१०२ ॥ संयागस्था-क ॥२-१-८८ ॥ संख्यैकर्या० ॥ ७-२-१५१ ॥ संयोगात ॥२-१-१२॥ सङ्गतेऽजयम् ॥ ५-१-५॥ संयोगादिनः ॥ ७-४-५३ ॥ सङ्घघोषा-अः ।। ६-३-१७२ ॥ संयोगात् ।। ४-४-३७ ॥ सोऽनूचे ॥ ५-३-८० ॥ संयोहदः ॥ ४-३-९ ॥ संचाय्यकुण्ड० ॥५-१-२२ ॥ संयोगादेर्वा० ॥ ४-३-२५ ॥ संज्ञा दुवा ॥ ६-१-६॥ संयत्सराग्र० ॥६-३-११६॥ संध्यक्षरात्तेन ॥ ७-३-४२ ॥ संवत्सरात् ॥ ६-३-९० ॥ संनिवेः ॥ ३-३-५७ ॥ संविप्रावात् ॥३-३-६३ ॥ संनिवेरदः ॥ ४-४-६३ ॥ सवेः सृजः ॥ ५२-५७ ।। संतिव्युपाधमः ॥ ५-३-२५ ॥ संशयं प्राप्ते० ॥ ६-४-९३ ॥ संपरिव्यतु० ॥५-२-५८ ॥ संसृष्टे ॥ ६-४-५॥ संपरेः कृगः ॥४-४-९१ ॥ संस्कृते ॥ ६-४-३॥ स.रेर्वा ॥४-१-७८ ॥ संस्कृते भक्ष्ये ॥६-२-१४० ॥ संप्रतेरस्मृतौ ॥ ३-३-६९ ॥ संस्त:: ।। ५-३-६६ ॥ सप्रदानाच्चान्य० ॥ ५-१-१५ ॥ सः जिस्तो ।। ४-३-६५ ॥ संप्राजानो० ॥ ७-३-१५५ ।। सपथ्यक्ष्णः ।। ७-३-१२६ ॥ संप्राइसात् । ५-२-६१ ॥ सखिर्वाणग0 ॥ ७-१-६३ ॥ सप्रोन्नेः स० ॥ ७-१-२२५ ॥ सख्यादरेयण ॥ ६-२-८८॥ सम्वन्धिना) ॥ ७-४-१२१ ॥ सख्युरितो० ॥ १-१-८३ ॥ संभवदधह० ॥६-४-१६२॥ सापः ॥२-१-७३ ।।. संभावनेऽलम० ॥ ५-४-२२ ॥ | सोया ॥ २-३-३८ ॥

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