Book Title: Siddhhem Balavbodhini Part 02
Author(s): Mahimaprabhsuri
Publisher: Mahimaprabhvijay Gyanmandir Trust

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Page 606
________________ શ્રી સિદ્ધહેમચન્દ્રશબ્દાનુશાસનસૂત્ર કારાઘનુક્રમણિકા [ પ દે सूत्राङ्क । सूत्रम् । देर्दिगिः परोक्षायाम् ||४-१--३२॥ देवता ॥ ६-२-१०१ ॥ देवतानामात्वादौ ॥७-४-२८।। देवतान्तात्तदर्थे ॥ ७-१-२२ ।। देवपथादिभ्यः ॥७-१-१११ ।। देववातादापः ॥५-१-९९/ देवतादीन्दिन् ॥६-४-८३।। देवात् तत् ।। ७-२-१६२ ॥ देवाद्यञ् च ।। ६-१-२१ ॥ देवानांप्रियः ॥ ३-२-३४॥ देवाच मैत्री० ।। ३-३-६० ।। देविकाशि-वाः ॥ ७-४३ ।। देशे ॥ २-३-७० ॥ दशेऽन्तरो नः ।। २-३-९१ ॥ दैर्येऽनुः || ३-१-३४ ॥ दैवयज्ञिशौचि० ॥ २-४-८२॥ दो मः स्यादौ । २-१-३९ ।। दोरप्राणिनः ॥ ६-२-४९ ॥ दोरीयः ॥ ६-३-३२ ॥ दोरेव प्राचः ॥ ६-३४० ॥ दोसोमास्थ इ: ।। ४-४-११ ॥ वापृथिवी० ॥ ६-२-१०८ ॥ घुरः ॥ ४-१-४१ ॥ हुभ्योऽद्यतन्याम् ॥३-३-४४॥ द्युदोर्भः ॥ ७-२-३७ ॥ सूत्रम् । सूत्राङ्क । प्रागपागु० ॥ ६-३-८ ।। प्रावृट् ॥ ३-२-२७ ॥ द्रमक्रमो यङः ॥ ५-२-४६ ।। द्रव्यवस्नात्कम् ॥६-४-१६७।। दीञो वा ॥ ६-२-१३९ ॥ रञोऽप्रा० ॥६-१-१२३॥ द्रोणा ॥ ६-१-५९ ॥ द्रोर्भव्ये ॥ ७-१-११५ ॥ द्रोयः ॥ ६-२-४३ ॥ यादेस्तथा ।। ६-१-१३२ ॥ द्वन्द्व वा ॥ ७-४-८२ ॥ द्वन्द्वात्प्रायः ॥ ६-३-२०१ ॥ द्वन्द्वादयः ॥ ६-२-७ ॥ द्वन्द्वात् ॥ ७-१-७४ ।। द्वन्द्वे वा ॥ १-४-११ ॥ द्वयोर्विभज्ये ॥ ७-३-६ ॥ द्वारादेः । ७४-६॥ द्विः कानः ॥ १-३-११॥ द्विगोः संशये० ॥७-१-१४४।। द्विगोः समा० ॥ २-४-२२ ॥ द्विगोरनयप्रे० ॥ ६-१९-२४ ॥ द्विगोरनोऽनट् ॥७-३-९९॥ द्विगोरीनः ॥ ६-४-१४० ॥ द्विगोरीने कटौ० ॥६-४-१६४॥ द्वितीयचतुर्यo ||४-१-४२ ॥

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