Book Title: Siddhhem Balavbodhini Part 02
Author(s): Mahimaprabhsuri
Publisher: Mahimaprabhvijay Gyanmandir Trust

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Page 619
________________ ६०४ ] सिम - पायोधिनी सूत्रम् । सूत्राङ्क । सूत्रम् । . सूत्राङ्क । प्रस्थपुर० ॥ ६-३-४३ ॥ प्राण्यङ्गरथ० ॥ ७-१-३७ ।। प्रस्य० ॥ १-२-२४॥ प्राण्यङ्गदातो लः ॥७-२-२०॥ प्रहरणम् ॥ ६-४-६२ ॥ प्राण्यौषधिo ॥ ६-२-३१ ॥ प्रहरणात् ॥ ३-१-१५४ ॥ प्रात्तश्च मो वा ॥४-१-९६ ॥ प्रहरणात्क्री० ॥ ६-२-११६॥ प्रात्तुम्पतेगेवि ॥ ४-४-९७ ॥ प्राकारस्य० ॥ ३-२-१९ ॥ प्रात्पुराणेनश्च ।। ७-२-१६१ ॥ प्राकाले ॥ ५-४-४७॥ प्रात्यवपरि० ॥ ३-१-४७ ॥ प्रात्तवाद० ॥ ७-१-५६ ॥ प्रात्सूजोरिन् ॥ ५-२-७१ ॥ प्रागनित्यात्कप् ॥ ७-३-२८॥ प्रास्त्रद्रस्तोः ॥ ५-३-६७ ।। प्रागिनात् ॥ २-१-४८ ॥ प्रादुपसर्गा० ॥ २-३-५८ ॥ प्राग्ग्रामाणाम् ॥ ७-४-१७॥ प्रादागस्त० ॥, ४-४-७ ॥ प्राग्जितादण् ॥६-१-१३ ॥ प्रादश्मितुला० ॥ ५-३-५१ ॥ प्राग्देशे ॥ ६-१-१०॥ प्राद्वहः ॥ ३-३-१०३ ॥ प्राग्भरते० ॥ ६-१-१२९ ॥ . प्राद्वाहणस्यैये ॥ ७-४-२१ ॥ प्राग्वत् ॥ ३-३-७४॥ प्राध्वं बन्धे ॥ ३-१-१६ ॥ प्रागवतः० ॥ ६-१-२५ ॥ प्राप्तापन्नौ० ॥ ३-१-६३ ॥ प्राचां नगरस्य ॥७-४-२६॥ प्रायोऽतोय० ॥७-२-१५५॥ प्राच यमयसः ॥ ५-२-५२ ॥ प्रायोऽन्नम० ॥ ७-१-१९४ ॥ प्राच्येञोऽतौ० ॥६-१-१४३॥ प्रायो बहु० ॥ ६-३-१४३ ॥ प्राज्ज्ञश्च ॥ ५-१-७९ ।।। प्रायोऽव्ययस्य ॥ ७-४-६५ ॥ प्राणिजाति० ७-१-६६ ॥ प्राल्लिप्सायाम् ॥ ५-३-५७ ॥. प्राणितूर्या० ॥ ३-१-१३७ ॥ प्रावृष इकः ॥ ६-३-९९ ॥ प्राणिन उपमानात् ।।७-३-१११॥ | प्रावृष एण्यः ।। ६-३-९२ ।। प्राणिनि भूते ॥ ६-४-११२॥ | प्रियः ॥३-१-१५७ ॥ . प्राणिस्थाद० ॥ ७-२-६० ॥ प्रियवशाद्वदः ॥ ५-१-१०७ ॥

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