Book Title: Siddhhem Balavbodhini Part 02
Author(s): Mahimaprabhsuri
Publisher: Mahimaprabhvijay Gyanmandir Trust

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Page 618
________________ | શ્રી સિદ્ધહેમશબ્દાનુશાસનસૂત્રાકારાઘનુક્રમણિકા [ ૬૦૩ सूत्रम्। सूत्राङ्क । सूत्रम् । सूत्राङ्क। प्यायः पीः ॥४-१-९१ ॥ प्रत्ययः-देः ॥ ७-४-११५ ॥ प्रकारे जातीय ॥७-२-७५॥ प्रत्ययस्य ॥ ७-४-१०८ ॥ प्रकारे था ॥ ७-२-१०२ ॥ प्रत्यये ॥२-३-६॥ प्रकृते मयट् ॥ ७-३-१ ।। प्रत्यये च ॥ १-३-२॥ प्रकृष्टे तमप् ॥ ७-३-५॥ प्रत्याङः श्रु० ।। २-२-५६ ॥ प्रघणप्रघाणौ० ॥ ५-३-३५ ॥ प्रथमादः-छः ॥ १-३-४ ॥ प्रचये नवा० ॥ ५-४-४३ ॥ प्रथमोक्तं प्राक ॥३-१-१४८ । प्रजाया असू ॥ ७-३-१३७ ॥ प्रभवति ।। ६-३-१५७ ॥ प्रज्ञादिभ्योऽण ॥ ७-२-१६५॥ प्रभूतादि-ति ॥ ६-४-४३ ॥ प्रज्ञापर्णोद० ॥ ७-२-२२ ॥ प्रभृत्यन्यार्थ० ॥ २-२-७५ ॥ प्रज्ञाश्रद्धा० ॥ ७-२-३३ ॥ प्रमाणसमासत्त्योः ॥५-४-७६॥ प्रणाय्यो नि० । ५-१-३३ ।। प्रमाणाम्मात्रट् ॥७-१-१४० ॥ प्रतिजनादेरीनञ् ॥७-१-२०॥ प्रमाणीसल्याड्डः ॥७-३-१२८॥ प्रतिज्ञायाम् ॥ ३-३-६५ ॥ प्रयोक्तव्यापारे० ॥३-४-२०॥ प्रतिना पञ्चम्याः ॥७-२-८७॥ | प्रयोजगम् ॥ ६-४-११७॥ प्रतिपन्थादिकश्च ॥६-४-३९।। - प्रलम्मे० ॥ ३-३-८९ ॥ प्रतिपरोऽनो० ।। ७-३-८७ ॥ । प्रवचनीयादयः ॥ ५-१-८॥ प्रति श्रवण ॥ ७-४-९४ ॥ प्रशस्यस्य श्रः ॥ ७-४-३४॥ प्रतेः ॥४-१-९८ ॥ प्रश्नाख्याने० ॥ ५-३-११९ ॥ प्रते स्नातस्य ॥ २-३-२१ ॥ प्रश्नार्याविचा० ॥७-४-१०२॥ प्रतेरुरसः० ॥ ७-३-८४ ॥ प्रश्ने च प्रतिपदम् ।।७-४-९८॥ प्रतेश्च वधे ॥४-४-९४ ॥ प्रष्ठोऽग्रगे ॥ २-३-३२ ॥ प्रत्यनोर्गणा० ॥ २-२-५७ ॥ प्रसमः स्त्यः ॥४-१-९५ ॥ प्रत्यन्ववात्सा० ॥ ७-३-८२॥ । प्रसितोत्सु० ॥ २-२-४९ ॥ प्रत्यभ्यतेः क्षिपः॥३-३-१०२॥ । प्रस्तारसंस्थान० ॥६-४-७९॥

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