Book Title: Siddhahemchandrabhidhan Swopagna Shabdanushasan Laghuvrutti
Author(s): Hemchandracharya,
Publisher: Yashovijay Jain Pathshala
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हैमशब्दानुशासनस्य [भ्वादिगणे २२८ कूल . आवरणे २५१ पिवु मिवु निवु सेचने २२९ शूल रुजायाम् २५२ हिवु दिवु जिवु प्रीणने २३० तूल . निष्कर्षे
| २५३ इदु व्याप्तौ च । २३१ पूल संघाते
२५४ अव रक्षणगतिकान्तिप्रीति२३२ मूल प्रतिष्ठायाम्
तृप्त्यवगमनप्रवेशश्रवणखा२३३ फल निष्पत्तौ
म्यर्थयाचनक्रियेच्छादीप्त्यवा२३४ फुल्ल विकसने
प्त्यालिङ्गनहिंसादहनभाववृद्धिषु २३५ चुल्ल हावकरणे २५५ कश शब्दे २३६ चिल्ल शैथिल्य च २५६ मिश मश रोषे च २३७ पेल फेल शेल पेल सेल वेल | २५७ शश प्लुतिगतौ .
सल तिल तिल्ल पल्ल वेल्ल गतौ २५८ णिश समाधौ २३८ वेल चेल केल क्वेल खेल | २५९ दृशृं प्रेक्षणे स्खल चलने
२६० दंशं दशने २३९ खल सञ्चये च
| २६१ घुष शन्दे २४. श्वल श्वल्ल आशुगतौ
| २६२ चूष पाने २४१ गल चर्व अदने २६३ तूष २४२ पूर्व पर्व मर्च पूरणे | २६४ पूष वृद्धौ २४३ गर्व धिवु शव गतौ
| २६५ लूष मूष स्तेये २४४ कर्व खर्च गर्व दर्प
२६६ खूष २४५ ष्टिवू क्षिवृ निरसने २६७ ऊष रुजायाम् । २४६ जीव प्राणधारणे २६८ ईष उंछे २४७ पीव मीव तीव नीव स्थौल्ये
२६९ कृषं विलेखने २४८ उर्वै तु थुर्वै दुवै धुवै | २७० कष शिष जष झष वष मष मुष
जुन्च अर्व भर्व शर्व हिंसायाम् रुष रिष यूष जूष शष चष . २४९ मुई मव बन्धने
हिंसायाम् २५० गुर्वै उद्यमे .. २७१ वृष संघाते च
प्रसवे
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