Book Title: Shrutsagar 2019 12 Volume 06 Issue 07
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

View full book text
Previous | Next

Page 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir December-2019 ॥४ ॥ ॥५॥ ॥६॥ ॥८॥ ॥९॥ SHRUTSAGAR तासु शिष्य चारित्रविजय, उपाध्याय गुणजांण। वखतावर मुनिवर हूआ, सकल-कला-सुविहांण अंतेवासी जेहनो, धर्मविजय पु(पं)न्यास। धर्मध्यांन धारी करी, लह्यो स्वर्गपुर वास तास पाट जग दीपता, पुन्यवंत परसिद्ध । भीमविजय पुं(पं)न्यास प्रभु, सकल गुणां की सिद्ध भाग्यवांन गंभीर-उदधि, दया-मयाभंडार । मणिधारी मोटो मुनी(नि), गौतम को अवतार ॥७॥ इण कलियुगमाहे हु(हू)ओ, धरमधुरंधर धीर। चावो जस चक्का चिहुं, वडवखती' वड वीर स्यामवरन तन सोहतो, मेघ समोवडि(ड) रूप। कंचन जल वूठो कहर , अवनिमांहि अनूप खलखंडण मंडणरिधू', जती(ति) वडो जालिम्म । रोर-विहंडण सुखकरण, पातिस्याहां मालिम्म' भीम पराक्रम भीमसो, स्वामि काम समरथ। दांण पराक्रम करणसो", ह(हे)मु२ पराक्रम हथ मन मोटि मोटो मरद, हु(हू)ओ महा बलवांन । लक्ष्मी को लाहो लीयो, दीध सुपात्रा दांन बहु परिवारि पूजतो, सिंघाडो सुखदाय। माहोमांहि मिलाप घण, दिन दिन वधे सवाय ॥१३॥ सुगुरु भीम खाट्यो सुजस, परगट पर उपगार । कीधा काम भला भला, सफल कीयो अवतार ॥छंद-भुजंगी॥ कीयो आपणो सप्फलो अवतारं, भली भांति पाली क्रियादिकधारं । करी जात(त्र) शेज आबू मग्गसी३, वडा दांन दीधा मनांसुं हव्वसी४ ॥१५॥ ॥१०॥ ॥११॥ ॥१२॥ ॥१४॥ For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36