Book Title: Shrutsagar 2019 12 Volume 06 Issue 07
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 26
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 26 दिसम्बर-२०१९ ॥८॥ ॥९॥ श्रुतसागर ॥ भास॥ एगिदिय पुढवी पमुह बायर सुहुम दु भेय पण। विगलिंदिय संनियर पंचिंदिय सग ते य पज्जत्ता॥ पज्जत्त कमि इम चउदसविह सत्त पज्जत्ता। चउपंचच्छहिं तिह अकरणि अपज्जत्ता धम्माधम्मागास तिय गुणि गइ तिइ अवगाह। खंधादेसपएस तय भेया एगिग माहि॥ काल समय पुग्गल चउह खंधादेसपएस । परिमाणू इम चउदसह सयल अजीवनिवेस पहिलउं सायावेयणी य मणदुग उच्चागोय। जाइ पणिंदिय देव दुग सूसर सुहगु जोय ॥ उरालिय पमुहंग पणआ इति अंगोवंग। ऊसासा य व अगुरुलहु बन्ना इय चउभंग वज्जरिसहवरसंघयण आइमतह संठाण। तस बायर पज्जत्त सुह सुखगइ जस निम्माण ॥ पत्तेयं थिर तित्थिरयर आइज्जं परघाय। आउय सुर नर तिरिय सुहइ य बायालह जाय दंसण नाणह अंतराय नव पण भ(भे?)या नीयागोय। असाय मिच्छ थावरदस निनेया सा(सो?)ल कसाय ॥ हुहासछक्क पुरिसा इति वेया। कुखगइ इग दु ति चउर करण चउ जाई एया नारय तिय तिरि दु उवघाय चउवन्ना असुहा। संघः(घ)यणा संठाण पढम परिवज्जिय दसहा॥ पावह ब्यासी भेय एय जिणसासणि कहिया। असुह पएसिहिं बंध एसि जीवेहिं विहिया ॥१०॥ ॥११॥ ॥१२॥ ॥१३॥ For Private and Personal Use Only

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