Book Title: Shrutsagar 2019 12 Volume 06 Issue 07
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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श्रुतसागर
दिसम्बर-२०१९ गुजरातना मुस्लिमोमां कुरानेशरीफ गुजराती लिपिमां छापेलुं वंचाय छ । बंगाळमां कुरानेशरीफ बंगाळी लिपिमां छापेलं वंचाय छे । घणा संस्कृत ग्रंथो पण त्यां बंगाळी लिपिमा छपाता अने छपाय छे। आ प्रवृत्तिओ राज्यना आश्रय विना तेम प्रचारकोना उद्यम वगर चाली रही छे अने केळवणी वधतां वाचकोनी संख्या वळी जिज्ञासाना वधारा साथे वधती ज रहेशे । देवनागरी लिपि माटे आग्रह धरावनाराओनां ध्यान आ हकीकतो तरफ पण जवां जोईए। संस्कृत ग्रंथो बंगाळी-गुजराती तेलुगु आदिने बदले आखा हिन्दमां तक्षशिलाथी कोलंबो लगी देवनागरी लिपिमां छपाय तेज बेहतर, संस्कृत लखाण पण देवनागरीमा ज थाय ते बेहतर, ऊर्दूभाषाना प्रदेश ब्हार वसता मुस्लिमोमां पोताना वतननी भाषा अने लिपिना ज्ञाननी साथे ऊर्दु ज्ञान वधे ते बेहतर हिन्दी देवनागरीनो फेलाव अने ऊर्दुनो फेलाव बंने सरखा इच्छवा योग्य, एके बीजा करतां चडियातो शानो? एवां एवां म्हारां तो मत छ । म्हारी मातृभाषा अने लिपिना प्रचारनी साथे बीजी कोई भाषा के लिपिना प्रचार माटे आग्रह राखवा मने कोई दलीलमां उतारे, तो हुं आ त्रण चार आग्रह एक साथे धरवाने कबूल थई शकुं खरो, एमांथी कोईपण एक वधु महत्वनो, वधु व्यवहारु के वधु वाजबी म्हने तो न लागे।
छेल्ली वात. देवनागरी लिपिमांथी समुत्क्रांतिने कुदरती क्रमे गुजराती लिपि घडाई छे। अने सांभळु छु के हिन्दीभाषाप्रेमीओमां पोतानी मातृभाषा (हिन्दी)ने माथे पाघडी वगरनी अथवा लिपि शब्द नारीजातिनो एटले बीजुं रूपक वापरीए तो, दक्षिणी सौभाग्यवतीओनी जेम खुल्लां माथांवाळी देवनागरी लिपि लखवानी चाल, सुधारा लेखे किंवा सुगमतानी खातर, शरू थई चुकी छे । आ चाल केटली फेलाशे, केटली झडपे परीक्षापत्रकोना जवाबो लखता विद्यार्थीओ ज “बोडिया” देवनागरी लखे छे के हिन्दी विद्वानो पण कॉलेजोमां पडती आदतने पछी वळगी रहे छे, ए समजावाने माटे तो केटलोक समय जवो जोईए। जे लहियाने माथां छोडी देवानी टेव एकवार पडी जाय, ते एवी तस्दीने पाछो आवकार दे एवो संभव तो नथी। तथापि केटलोक समय वीते ते पछी ज कही शकाय, अने आ चाल जोरथी अने त्वराथी फेलाय छे, एम देखाय तो? तो बीजी वार जुवो पेलां जोडकां । लेखकनो जमणो हाथ प्रवाहिता साधे ए ज कुदरती। ए डाबी बाजुनी आकृतिओ क्रमे क्रमे जमणी बाजुनी आकृतिओमां परिणमे ए ज कुदरती। जड देवनागरी स्थूल देवनागरी डबकाशाई देवनागरी सुघड सजीवन मरोडदार गुजरातीमां परिपाक पामे ए ज कुदरती।
(अनुसंधान पृष्ठ सं.२८ पर)
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