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December-2019 प्राचीन पाण्डुलिपियों की संरक्षण विधि
राहुल आर. त्रिवेदी सुरक्षात्मक संरक्षण (Preventive conservation)
सुरक्षात्मक संरक्षण प्राथमिक स्तर का कार्य है, जो बहुत महत्त्वपूर्ण है। इसके अंतर्गत निम्नलिखित बातों को ध्यान में लिया जाता है। १) संग्रहण व्यवस्था(Storage Handling), २) मेकेनिकल क्लिनिंग (Mechanical Cleaning) तथा ३) सूचिकरण (Cataloguing)। १) संग्रहण व्यवस्था (Storage Handling)
संग्रहण (Storage) के ६ प्रकार- प्राचीन हस्तलिखित पाण्डुलिपियों को सुरक्षित स्थान में रखा जाता है। संग्रहण के छः प्रकार बताए गए हैं, जो इस प्रकार है१) विकसित सञ्चय Open storage, २) संकीर्ण सञ्चय Closed storage, ३) प्रत्यक्ष सञ्चय Visible storage, ४) सीधा-लम्बरूप श्रेणीबद्ध सञ्चय vertical ranck, ५) आलमारी cabinet ६) तथा सुसम्बद्ध सञ्चय Compact storage. इनमें से Compact storage सबसे अच्छा है क्यूंकि कम जगह में अधिक सामग्री रखी जा सकती है, इस विधि का उपयोग वर्तमान में हमारी संस्था में किया जा रहा है। ऊपर बताए गए इन कबाटों में रखने हेतु व्यवस्था कर रहे कार्यकर्ताओं को सावधानी रखनी पडती है। हस्तप्रतों को कबाटों में सुंदर रूप से थप्पी बनाकर, लकड़ी के बक्से या पोथी में बांधकर रखनी चाहिए। ____ कवर के २ प्रकार- कवर के भी दो प्रकार होते है, १) फ्लेप(Flap) कवर और २) रैप(Wrap) कवर । ग्रंथ के पन्ने १ से ३० तक हो तो फ्लेप कवर करना होता है। यदि ग्रंथ के पन्ने ३०-से ३५ या उससे भी अधिक हो तो उसे रैप कवर करना चाहिए। फ्लेप कवर के लिए एसिड फ्री पेपर का उपयोग किया जाता है, पेपर की शीट में हस्तप्रत को मध्यबिंदु में रखकर उसकी लंबाई व चौड़ाई का माप लेकर चारों कोनों को काट दिया जाता है जिससे वह लम्बचौरस कवर हो जाता है। रैप कवर के लिए पेपर को हस्तप्रत की लंबाई के अनुसार तीन गुना रखकर काटा जाता है और उन ग्रंथो को पोथी में बांधा जाता है। पाण्डुपिलिपियों को पोथी में बांधने के लिए कोटन या रेशम के लाल या पीले कपड़े का उपयोग किया जाता है।
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