Book Title: Shrutsagar 2019 12 Volume 06 Issue 07
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 10
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥१६॥ ॥१९॥ ॥२०॥ श्रुतसागर दिसम्बर-२०१९ फलोधी रिषभ गिरिनार केरी, घणा भावसुं जात(त्र) कीधी भलेरी। दया धारि(री)नै उषधदांन दीजै, कदेही किणिनै मुखै ना न कीजै महा मत्तवाला अनम्मी नमाया, गुमानी जिको ६ आंणि(णी) पावै लगाया। तपैगच्छ साखा विजैमे रतन्नं, मुनि भीमसो को नही सुद्ध मन्नं ॥१७॥ प्रतापीक देखी वडो साध पूरं, रजाबंध" हूओ विजैरत्नसूरं । समापी९ भला वण्य(?) आदेश साधे, लिखी लेख मूकै पटा गांम वाधै ॥१८॥ अनंता जती(ति) भीमजी पास आवै, पडूर वडा गाम आदेश पावै।। इसी वेद गच्छां विजै भीम ओपै, कहे जेहनी कार कोइ न लौपै ॥१९।। करामातधारी कलौमांहिं केहो२२, जती(ति) जोगधारी दि(दी)पै हीर जेहो२३ । भर्यो पुन्यभंडार लीधी भलाइ, कहै मानवी धन्य थारी कमाइ धरमी वडो शील-सन्नाहधारी२४, भली वांणि मीठी वदै मुक्ख भारी। अधीतं२५ घणा सत्र सिद्धांत अंगं, वडा वेद व्याकर्णने काव्य चंगं२६ ॥२१॥ महाजांण ज्योतिक्ख वैदकमांहे, क्षमावंत वाचै वखाणं उछाहै।। सुणै देसना होय राजी सकोइ२७, रजाबंध होवंत दीदार जोइ जिसो सेस कैलास चंदं उजासं, तिसो उ(ऊ)जलो भीमचो जस-वासं । जितै सूर तेजं मरीचं प्रकासं, तितै पवन वाजंत गाजै अवासं२१ तितै जस फाबै धरामै तुहारो, वदै लोक साचा विरुद्धंस वारो। करा-कमला कमला वास कीधो, मुखै सारदा आयनै वास लीधो रिदै कमलै वास छै भगवानं, सही भीम पु(पं)न्यास सिद्धं समानं । चवै वाच तै साच पालै सुचंगं, अनोपं दि(दी) गातरूपै२५ अनंगं ॥२५॥ तपै तेज भालं विशालं उतंगं, मनंगोल उकसतो उत्तमंग। सलूणा दलं पंकजं नैण सोहे, सिखा दीप नाशा शिवं मन मोहै ॥२६॥ बतीसी मुखै उ(ऊ)जली जांणि हि(ही)रा, झिगा ज्योतिपंकति(क्ति) छै दंत जीरा । रिदा बीचमै स्वच्छ श्रीवच्छ राजै, विशेषे घणी सुत्थरी छबि छाजै ॥२७॥ उभै गोल कपोल आरीस ओपै, कदही किणीसुं प्रभुजि(जी) न कोपै।। प्रलंबं भुजादंड दीपै दु-पासे, रच्यो अंगकर्ता समं चोसरासै३ ॥२८॥ ॥२२॥ ॥२३॥ ॥२४॥ For Private and Personal Use Only

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