Book Title: Shrut Ratna Ratnakar
Author(s): Pradyumnavijay
Publisher: Syadwad Prakashan Mandir Trust
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________________ // 2 चउसरणपयन्नो // (त्रण दिवस आयंबिल करी आ सूत्र भणवू // ) सावजजोगविरई, उकित्तण गुणवओ अ पडिवत्ती। खलियस निंदणा वण-तिगिच्छ गुणधारणा चेव / / 1 / / चारित्तस्स विसोही, कीरइ सामाइएण किल इहयं / सावज्जेयरजोगाण, वज्जणासेवणत्तणओ // 2 // दसणयारविसोही, चउवीसायत्थएण किञ्चइ य / अञ्चप्सुअगुणकित्तण-स्वेणं जिणवरिंदाणं / / 3 / / नाणइआ उ गुणा, तस्संपन्नपडिवत्तिकरणाओ। वंदणएणं विहिणा, कीरइ सोही उ तेसिं तु // 4 // खलिअस्स य तेसि पुणो, विहिणा जं निंदणाइ पडिकमणं / तेण पडिक्कमणेणं, तेसि पि य कीरओ सोही // 5 // चरणाई याराणं, जहक्कम वणतिगिच्छरूवेणं / पडिक्कमणासुद्धाणं, सोही तह काउरसग्गेणं // 6 // गुणधारणरूवेणं, पञ्चक्खागेण तवइआरस्स / विरिआयारस्स पुणो, सव्वेहि वि कीरए सोही // 7 // गय-वसह-सीह-अभिसेअ-दाम-ससि-दिणयरं झयं कुंभं / पउमसर-सागर-विमाण-भवण-रयगुच्चय सिहिं च // 8 // अमरिंदनरिंदमुणिंद-बंदियं वंदिउं महावीरं / कुसलागुबंधिबंधुर-मज्झयणं कित्तइस्सामि // 9 //
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