Book Title: Shrut Ratna Ratnakar
Author(s): Pradyumnavijay
Publisher: Syadwad Prakashan Mandir Trust
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________________ AAAAAAAmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm.in. पत्तेयं चिय मणिरयणघडियअट्ठसयपडिमकलिएणं / जिणभवणेण पवित्तीकयाई मणनयणसुहयाई // 339 // तह चेव संठियाइं संखाईयाइं रयणमइयाइं / नयराई वंतराणं हवंति पुवुत्तरूवाई // 340 // फलिहरयणामयाइं होंति कविठ्ठद्धसंठियाई च / तिरियमसंखेज्जाई जोइसियाणं विमाणाई // 341 // तेवीसाहिय सगनउइसहस्सचुलसीइसयसहरसाई / वेमाणियदेवाणं होंति विमाणाई सयलाई // 342 // संखेज्जवित्थराइं होंति असंखेज्जवित्थराइ च / . कलियाइ रयणनिम्मिय पासायमहंतपंतीहिं // 343 // धयचिंधवेजयंती पडायमालालयाइ रम्माइ / पउमवरवेइयाई नाणासंठाणकलियाई // 344 // बन्नियभवणसमिद्धीओऽणंतगुणरिद्धिसमुदयजुयाहिं / सुणमाणाणवि सुहयाइं सेवमाणाण किं भणिमो ? // 345 / / छउमत्थसंजमेणं देसचरित्तेणऽकामनिज्जरया। बालतवोकम्मेण य जीवा वच्चंति दियलोयं // 346 // सेयंबियानरनाहो सट्ठी य धणंजओ विसालाए / जंबूतामलिपमुहा कमेण एत्थं उदाहरणा // 347 // अन्नेऽवि हु खंतिपरा सीलरया दाणविणयदयकलिया। पयणुकसाया भुवणोव्व भद्दया जंति परलोयं // 348 // उप्पण्णाण य देवेसु ताण आख्म जम्मकालाओ। .. उप्पत्तिकमो भन्नइ जह भणिओ जिणवरिंदेहिं // 349 // .
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