Book Title: Shrut Ratna Ratnakar
Author(s): Pradyumnavijay
Publisher: Syadwad Prakashan Mandir Trust

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Page 183
________________ सिरिअभयदेवसूरिश्इओ महावीरत्थवो / जइज्जा समणे भयवं महावीरे जिणुत्तमे / .. लोगनाहे सयंबुद्धे लोगंतिअविवोहिए // 1 // वच्छर दिन्नदाणोहसंपूरिअजणासए / ' नाणत्तयसमाउत्ते पुत्ते सिद्धत्थरायणो // 2 // चिच्चा रज्जं च रटुं च पुरं अंतेउरं तहा / निक्खमित्ता अगाराओ पवइए अणगारियं // 3 // परोसहाणां नो भीए भेरवाणं खमाखमे / पंचहा समिए गुत्ते बंभयारी अकिंचणे // 4 // निम्ममे निरहंकारे अकोहे मायवज्जिए / अमाए लोभविमुक्के पसंते छिन्नबंधणे // 5 // . पुक्खरं व अलेवे य संखो इव निरंजणे / जीवे व्व अप्पडिग्घाए गयणं व निरासए // 6 // वाउ इव अप्पडिबद्धे कुम्मे व्व गुत्तइंदिए / विप्पमुक्के विहंग व्व खग्गिसिंग व एगए // 7 // भारंडेव्व अप्पमत्तेय वसहेव्व जायथामए / ' कुंजरोव्व सांडीरे सीहोव्व दुद्धरिस्सए // 8 //

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