Book Title: Shrut Ratna Ratnakar
Author(s): Pradyumnavijay
Publisher: Syadwad Prakashan Mandir Trust
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________________ श्रुतरत्नरत्नाकरे दसवरिस पमाणाओ पत्तेयमिमाओ तत्थ बालस्स। . पढमदसा बीया उ जाणेजसु कीलमाणस्स // 317 // तइया भोगसमत्था होइ चउत्थी उ पुण बलं देहे / पंचमियाए पन्ना इंदियहाणी उ छट्ठीए // 318 // सत्तमियाइ दसाए कासइ निळुहइ चिक्कणं खेलं / संकुइयवलीचम्मो पुण अट्ठमीए जुओऽणिटो // 319 // नवमी नमइ सरीरं वसइ य देहे अकामओ जीवो / दसमीए सुइवियलो दीणो भिन्नस्सरो खीणो // 320 // पणपन्नाइ परेणं महिला गम्भं न धारए उयरे / पणसत्तरीइ परओ पाएण पुमं भवेऽबीओ // 321 // वाससयाउयमेवं परेण जा होइ पुब्वकोडीओ। तस्सद्धे अमिलाणा सब्वाउयवीसभागो उ // 322 // तम्हा मणुयगईऍ वि सारं पेच्छामि एत्तियं चेव / जिणसासणं जिणिंदा महरिसिणो नाणचरणधणा // 323 // पडिवजिऊण चरणं जं च इहं केइ पाणीणो धन्ना / साहंति सिद्धिसोक्खं देवगईए व वञ्चति // 324 // तेगेव पगइभद्दो विणयपरो विगयमच्छरो सदओ। मगुयाउयं निबंधइ जह धरणीधरो सुनंदो य // 325 / / देवगईवि य वोच्छं एत्तो भवणवइवंतरसुरेहिं / जोइसिएहिं वेमाणिएहिं जुत्तं समासेण // 326 // दसविहभवणवईणं भवणाणं होंति सव्वसंखाए। कोडीओ सत्तबाक्तरीऍ लक्खेहिं अहियाओ // 327 // . .
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