Book Title: Shatrunjaya Mahatmya
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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अष्टमःसर्गः
नए थको प्रजुनी पाउल चालवा लाग्यो. पठी प्रनु शत्रुजयपर चड्या, तथा पाउल श्रावता ते सिंहने तेमणे कडं के, तुं हवे प्राणीउप्रते समता धा. रीने अहींज रहेजे ? केम के अहींज तने था देवना प्रनावथी देवगति मलशे, तथा पढी एकावतारी थ तुं मोके जश्श, एवी रीतनी प्रजुनी थाज्ञामां तत्पर रहीने ते सिंह प्रजुनुं ध्यान धरतो थको मुनिनी पेठे दयाने तथा शांत मनने धारण करीने त्यां रह्यो. पठी त्यां शुजध्यानथी मृत्यु पामीने ते उत्तम देवगतिमा गयो; माटे तीर्थनो प्रनाव कदापि पण निष्फल जतो नथी
हवे श्री शांतिनाथ प्रनु पण देवोना समूहोथी वींटाया थका अजितप्रजुनी पेठेज मरुदेवा शिखरपर चार माससुधि रह्या. त्यां गांधर्वो, विद्याधरो, देवो, जुवनपति तथा मनुष्यो प्रीतिपूर्वक प्रजुने हमेशां पूजता हता. एवी रीते त्यां चतुर्मास रहीने प्रनु सूर्यनी पेठे जगतने बोध था. पवामाटे त्यांथी विहार करी गया. दवे प्रजुथी पवित्र थएला ते शिखरपर ते सिंहदेवे स्वर्गमांथी थावीने मूर्ति सहित श्रीशांतिनाथ प्रजुनुं मं. दिर बंधाव्यु. वली पोतानी देवगतिना कारणरूप एवा ते शिखरपरते देवे बीजा पण प्रजुना मूर्ति सहित प्रासादो बंधाव्यां. एवी रीते सिंहदेवथी तथा तेना अनुचर एवा बीजा देवोथी अधिष्ठित थएवं ते शिखर शांतिजिननी जक्तिथी सर्वना इलितोने श्रापे . ते शिखरनी समीप श्शान खु. णामां पांचसो धनुष्य दूर यद बे, ते चिंतामणि रत्न आपे . त्यां कल्पवृक्षोपर रहेला कोडो अधिष्टायक देवो शांतिनाथ प्रजुनुं श्राराधन करनाराउने सर्व इनित वस्तु आपे . वली त्यां पुण्यशालीने अरिहंत प्रजुना श्राश्रयथी संशयरहित पारलौकिक सिकि मले बे. एवीरीते सर्व शिखरोपर विहार करीने, प्रजु पोताना चरणन्यासोथी पृथ्वीने पवित्र करता थका अनुक्रमे गजपुर नगरमां श्राव्या. त्यां शांतिनाथ प्रजुना चक्रधर नामना पुत्र प्रजुने श्रावेला जाणीने, तुरत परिवार सहित तेमने नमवा माटे श्राव्या. पली त्यां सर्व सभासदो प्रजुने नमीने तथा स्तवीने बेग बाद प्रनु पण पोताना मुखकलमांधी मकरंद सरखी देशना देवा लाग्या के, शील, शत्रुजय पर्वत, समता, जिननी सेवा, संघ, तथा संघाधिपपणुं ते सर्वे मोक्ष थापनारां जे. एवीरीतनी प्रजुनी देशना सांजलीने उत्तम
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