Book Title: Shatrunjaya Mahatmya
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 308
________________ २६ शजय मादात्म्य. तथा चक्रधर राजादिक महापुरुषोए करेला तीर्थोकारना वर्णननो श्रावमो सर्ग संपूर्ण अयो. श्रीरस्तु. नवमः सर्गः त्रणे जगतोना खामी, तथा अनुत विनवना प्रजाववाला, तथा सघला माणसोना बन्ने नवोना हित माटे प्रकट करेल मार्ग जेणे एवा श्री युगादीश प्रजु जयवंता वर्ते . ___ श्री वीरप्रन्नु इंजने कहे डे के, हे इं! तेज इक्ष्वाकु वंशना पुरुषरननुं तथा था शत्रुजय गिरिनु, कर्णने अमृततुल्य चरित्र तुं हजु पण सांजल ? हे इं! हवे श्री मुनिसुव्रत तीर्थंकर महाराजना तीर्थमां थएला वासुदेव, बलदेव तथा रावणर्नु चरित्र हुँ तने कडं बुं. श्री सूर्ययशाना वंशमां केटलाक राजा थयाबाद अयोध्या नगरी. मां विजय नामे राजा थया. तेनी हिमचूला नामनी राणीथी वज्रबाह अने पुरंदर नामे बे पुत्रो थया, तेर्डमांथी वज्रबाहुए पोताना शालानी हांसीथी दीक्षा लीधी. पली विजय राजा पण पुरंदरने राज्यपर बेसाडीने दीक्षा वेश मोदे गया. पुरंदरनो पुत्र कीर्तिधर, तथा कीर्तिधरनो पुत्र सुकोशल थयो; ते सुकोशल राजाए पोतानी गर्नवंती स्त्रीने तजीने दीदा लीधी. तेनी सहदेवी नामनी माता कुःखथी पीडित थ थकी मृत्यु पामीने वनमां वाघण थर, तेणीए पूर्वना क्रोधथी पोताना संयमधारी पुत्रने मारी नांख्यो. हवे ते सुकोशलनो हिरण्यगर्न नामे पुत्र थयो, तेनो पुत्र नघुष नामे थयो; ते नघुष एक वखते को बीजे स्थानके गयो इतो, त्यारे तेनी राणीए शत्रुने जीत्या हता. एक दहाडो तेणिना प. तिए पोतानी राणीनुं असतीपणु चिंतव्यु, थने तेथी ते ज्वरना व्याधियी मृत्यु पाम्यो. तेनो सोदास नामनो पुत्र राक्षसोनी पेठे मनुष्योनुं मांस भक्षण करवा लाग्यो, तेथी मंत्रिए तेने कहाडी मुकीने राज्यपर तेना पुत्र सिंदरथने बेसाड्यो. पठी सोदास पण कोश्क मुनिपासेथी धमैश्रवण करीने जीवदयामां तत्पर थयो थको महापुर. नगरमां, त्यांनो राजा मृत्यु पामवाथी पोते राजा थयो. पळी तेणे सिंहथने जीत्यो, तथा डेवटे बन्ने राज्यपर ते सिंदरथने बेसाडीने तेणे गुरु समीपे चारि Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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