Book Title: Shatrunjaya Mahatmya
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 313
________________ ३०१ नवमःसर्गः सुख, पुत्र, स्त्री श्रादिकनी अजिलाषा करनाराना सर्व शछितो सिक थशे. वली जे बिंबने एकसो वर्षों थयां होय, ते बिंब तीर्थज कहेवाय डे; अने था बिंब तो लाखो वर्षीसुधी खर्ग तथा समुजमां देवोथी पूजाएj बे; माटे या बिंबना दर्शनथीज पापोनी शांति थाय डे, तथा अहीं दी. धेलु दान अधिक फलने श्रापे . एवी रीते ते तीर्थनो महिमा कहीने ते मुनि आकाशमार्गे चाख्या गया. पड़ी ते अजय राजा त्यां उमाससुधि रह्यो, तथा पनी वजपाणीथी नमाता थकां तेणे सिझगिरिपर जश् प्रजुने पूज्या. पनी त्यां स्नात्रपूजा, इंसोत्सव, ध्वजारोपण थादिक कृत्योकरी पोताना राज्यमा गयो, तथा केटलांक धर्मकार्यों करी ते व्रत लेश्ने खर्गे गयो. तेनो पृथ्वी नामनी राणीथी उत्पन्न थएलो अनंतरथ नामे राजा थयो. तथा तेनो पुत्र दशरथ नामे राजा थयो. तेने देहधारी लक्ष्मी सरखी कौशल्या, कैकेयी, सुमित्रा तथा सुप्रजा नामनी चार राणी हती. हवे एक दहाडो हाथी, सिंह, चंद्र तथा सूर्यना खप्नथी सूचित थएला रामचंज नामना बलदेव पुत्रने कौशल्याए जन्म थाप्यो. तथा हाथी, सिंह, चंड, समुफ, लक्ष्मी, अग्निशिखा, अने सूर्यना खप्नथी सूचित थएला लक्ष्मण नामना वासुदेव पुत्रने सुमित्राए जन्म थाप्यो. वली उत्तम स्वप्नपूर्वक कैकेयीए नरत नामना पुत्रने, तथा सुप्रजाए शत्रुघ्न नामना पुत्रने जन्म थाप्यो. विद्या तथा विनयथी युक्त, श्रने उत्तम श्राशयोवाला एवा ते चारे पुत्रोथी, दान, शील, तप अने जावथी जेम धर्म, तेम दशरथ राजा शोजता हता. हवे त्यां जेम बलदेव अने वासुदेवने परस्पर प्रीति हती, तेम शत्रुघ्न अने जरतने पण परस्पर प्रीति हती. हवे ते वखते मिथिला नामनी नगरीमा हरिवंशना वासवकेतु नामना राजानी विपुला नामनी राणीथी उत्पन्न थएलो जनक नामे राजा हतो. तेनी विदेहा नामनी स्त्रीए उत्तम खप्नपूर्वक महातेजस्वी पुत्र अने पुत्रीने ( जोडलांने ) जन्म श्राप्यो. ते वखते सौधर्मा देवलोकमां रहेनारा पिंगल नामना देवे पूर्वजन्मना वैरथी ते जोडलामांथी पुत्रने हरी लीधो. पठी दया श्राववाथी तेणे कुंडल श्रादिकथी ते बालकने शणगारीने वैताढ्यना वनमां बोडी दीधो. तेटलामा रथनूपुर नगरना चंगति नामना विद्याधर राजाए ते पुत्रने सेश्ने हर्षयी पोतानी पुष्पवती नामनी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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