Book Title: Saptapadi Shastra
Author(s): Sagarchandrasuri
Publisher: Mandal Sangh
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२३०
श्रीसप्तपदीशास्त्र-गुजरातीभाषानुवाद.
सौमनसा पांचमी, श्रीसंभूता छठी, विजयासातमी, वैजयन्ती आठमी, जयन्ती नवमी, अपराजिता दशमी, इच्छा अग्यारमी, समाहारा बारमी, तेजा तेरमी, अतितेजा चौदमी, देवानन्दा पन्नरमी, आर्नु बीजुनाम निरति पण छे. आ रात्रिओना नाम जाणवा. हे भगवन् ! आ पनर रात्रिओनी केटली तिथीओ कहेल छे ? हे गौतम ! पनरतिथीओ कहेल छे, ते आ प्रमाणे:--१. उग्रवती, २. भोगवती, ३. यशोमती, ४. सर्वसिद्धा, ५. शुभनामा, ६. उग्रवती, ७. भोगवती, ८. यशोमती, ९. सर्वसिद्धा, १०. शुभनामा, ११. उग्रवती, १२. भोगवती, १३. यशोमती, १४. सर्वसिद्धा, १५. शुभनामा, आ पन्नररात्रिओना नाम जाणवा. आवां सूत्रवचन होवाथी. उपर प्रमाणे सूरपन्नत्तीमूलसूत्रमा पण दशमां भाभृतना चौदमां अने पन्नरमां पाभृतप्राभृतने विषे सरखो पाठ होवाथी लखेल नथी. आ स्थाने एनीत्तिमां आम जणावेळ छ:-" एकेक पक्षनी पन्नर पनर रात्रिओ कहेली छे. ते आ प्रकारे-पडवे पडवा संबंधीनी प्रथमा रात्रि, बीजा दिवस संबंधीनी बीजी रात्रि, एवी रोते पन्नरमा दिवस संबंधीनी पनरमी रात्रि" आवा वचन होवायी. जे दिवस, तेज रात्रि एटले दिवसना संबंधवाळी रात्रि जाणवी. श्रीकल्पसूत्रमा जणावेल छे के:-"उपशम नामा दिवसे देवानंदा ते रात्रि" एम कहेल होवाथी वृत्तिमा जणावेल छे के:-"कोइ शंका करे ? के-दिवसोथी तिथीओमां शुं विशेषता छ ? के
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