Book Title: Sanskrit Bhashanu Vyakaran
Author(s): Jethalal Govardhan Shah
Publisher: Gujarat Oriental Book Depot
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(म) वियत्, जगत, पृषत् , शकृत् , यकृत् , अनृत, अमृत, निमित्त,
चित्त, पित्त, व्रत, रजत, वृत्त, पलित, श्राद्ध, पीठ, कुण्ड, अङ्ग, दधि, सक्यि, आज्य, आस्पद, कण्व, बीज, धान्य, सस्य, रूप्य, पण्य, कष्य, काव्य, सत्य, अपत्य, मूल्य, शिल्प, शिक्य, मद्य, हर्म्य, तुर्य, सैन्य, द्वंद्व, दुःख, पिच्छ,
ઉપરના શબ્દો નલિ.માં છે. अपवाहो ।
सीमन् (श्री.) छात्र, पुत्र, मन्त्र, वृत्र, उष्ट्र (पु.) तुल, उपल, ताल, कम्बल, देवल, वृषल (५.) सीर, अर्थ, ओदन, आहव, संग्राम, (पु.) आजि अने अटवि (सी.)
પુલિગ અને સ્ત્રીલિંગ गो, मणि, यष्टि, मुष्टि, शाल्मलि, मसि, मरीचि, दुंदुभि, नाभि, इषुधि, इषु, बाहु, श्रोणि, योनि, ऊर्मि.
पुखि अने न.सिं. धृत, भूत, शृङ्ग, अघ, निदाघ, उद्यम, व्रज, कुञ्ज, दर्भ, पुच्छ, खण्ड, शव, सैन्धव, आकाश, कुश, काश, अनीक, वट, लोष्ट, पट, कपट कोरे.
श्रीसि. सने न.सि. . स्थूण-णा, अर्चिस्, लक्ष-क्षा

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