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२८] संक्षिप्त जैन इतिहास । हुआ था; किन्तु उसका अन्त परस्परमें सन्धि होकर होगया था।' कहते हैं कि इसी सन्धिके उपरान्त श्रेणिकका विवाह कुमारी चेकजीके साथ हुआ था। सम्राट श्रेणिक विम्बसारने अपने बढ़ते हुए राज्यबलको देखकर ही शायद एक नई रानपानी-नवीन रानगृहकी नींव डाली थी। उनने अपने पड़ोसके दो महाशक्तिशाली राज्योंकौशल और वैशालीसे सम्बन्ध स्थापित करके अपनी राजनीति 'कुशलताका परिचय दिया था-इन सम्बन्धों से उनकी शक्ति और प्रतिष्ठा अधिक बढ़ गई थी।
माधुनिक विद्वानों का मत है कि सम्राट विम्बसारने सन ई. से पूर्व ५८२ से ५५४ वर्ष तक कुल २८ वर्ष राज्य किया था। किन्तु बौद्ध ग्रन्थोंमें उन्हें पन्द्रह वर्षकी अवस्थामें सिंहासनारूढ़ : होकर ५२ वर्ष तक राज्य करते लिखा है। (दीपवंश ३-५६-१०) 'वह म० बुद्धसे पांच वर्ष छोटे थे {* फारस (Persin) का वादशाह दारा (Darias) इन्हींका समकालीन था और उसने सिंधुनदीवर्ती प्रदेशको अपने राज्यमें मिला लिया था। किन्तु दाराके उप
रांत चौथी शताब्दि ई० ५०के मारम्भमें जब फारसका. साम्राज्य 'दुर्बल होगया, तर यह सब पुनः स्वाधीन होगये थे। इतनेपर भी इस विजयका प्रभाव मारतपर स्थायी रहा। यहां एक नई लिपि
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१-कारमाइकल लेवचर्स, १०१८, पृ० ७१। २-अहिइ०, पृ. ३३ । . ३. अध०, ५० ४ । ४-ऑदिइ०, पृ० ४५१
* मि० काशीप्रसाद जायसवालने श्रेणिकका राज्य काल ५१ वर्ष • (६०१-५५२-ई० पूर्व ) लिखा हे ३. कौशांपोंके -परन्तप शताब्दिक व
श्रावस्तीके प्रसेनजी समकालीन राजा थे । जीव ओसो भा०.१ पृ.१४॥