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१२४] संक्षिप्त जैन इतिहास ।
इन्द्रभूति गौतम वीर संघ प्रमुख गणधर थे। श्री गौतम प्रमुख गणधर इन्द्रभूति अथवा गौतम स्वामोझे नामसे भी इनकी -गौतम और अग्निभूति प्रसिद्धि है । म० गौतम बुद्ध और गणधर
व वायुभूति । इन्द्रभूतिके गोत्र नाम 'गौतम' की अपेक्षा कितने ही विद्वानोंने भ्रममें पड़कर दोनों व्यक्तियोंको एक माना है और बौद्ध धर्मको जैनधर्मसे निकला हुआ बताया है। किन्तु वास्तवमें भगवान महावीरजीके समय म गौतम बुद्ध, इन्द्रभूति गौतम और न्याय सूत्रोंके कर्ता अक्षयपाद गौतम तीन स्वतंत्र व्यक्ति थे । उनका एक दुसरेसे कोई सम्बंध नहीं था । इन्द्रमृति गौतमझा जन्म मगधदेशके 'गोवरग्राम में हुआ था। इनका पिता गौतम गोत्री ब्राह्मण वसुभूति अथवा शांडिल्य था; जो एक सुप्रसिद्ध धनाट्य प्रतिष्ठित विद्वान और अपने गांवका मुखिया था।
और सुलक्षणा स्त्रीके उदरसे इन्द्रभूतिका जन्म हुआ था । इंद्रभूतिके लघु भ्राता अग्निभूति भी पृथ्वीके गर्भसे जन्मे थे; इन दोनों भाइयोंका जन्म सन् ई०के प्रारम्भसे क्रमशः ६२५ वर्ष और ५९८ वर्ष पहले हुआ था। इनका तीसरा छोटा भाई वायुमृति था जिसका जन्म वसुभूतिकी दृमरी विदुषी स्त्री केशरीके उदरसे ३ वर्ष पश्चात अर्थात् सन् ई०से ५९५ वर्ष पूर्व हुमा था।
यह तीनों ही भाई सबसे पहले जैनधर्ममें दीक्षित होकर वीर संघ सर्व प्रथम मुनि हुए थे और तीनों ही गणधरपदको सुशोभित करते थे। गौवरग्राममें उस समय प्रायः ब्राह्मण लोग ही वसते थे और उनका ही वहांपर प्राबल्य था। किन्तु उनमें गौतमी ब्राह्मण ही बल, वैभव, ऐश्वर्य और विद्वत्ता मादिके कारण अधिक