Book Title: Sankshipta Jain Itihas Part 01 Khand 01
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 316
________________ २९४ } संक्षिप्त जैन इतिहास | से २२८ तक राज्य करता रहा | कुणालका उत्तराधिकारी उसका भाई दशरथ हुआ। दशरथने सन् २२८-२२० ई०पू० तक शासनभार ग्रहण किया | उपरांत अशोकका पोता सम्प्रति राज्य सिंहासन पर बैठा । यह जनधर्मानुयायी था और इसने जैनधर्म प्रचार दूर र देशोंमें किया था । श्वेतांवर शास्त्रोंका कथन है कि स्थूलभद्रस्वामी के उत्तराधिकारी श्री आर्य महागिरि थे । इनके गुरु भाई श्री आर्य सुहस्तिसूरि थे । सम्प्रतिकी राजधानी उज्जयनि थी । श्री आर्य सुहस्ति सुरिने यहां चातुर्मास किया था । चातुर्मास के पूर्ण होने पर श्री जिनेन्द्रदेवका रथयात्रा महोत्सव होरहा था । संप्रति राजा भी अपने राजप्रासाद में बैठा हुआ उत्सव : देख रहा था। भाग्यवशात् उसकी नजर श्री आर्य सुहस्तिसूरिपर जा पड़ी। संप्रतिने गुरुके चरणों में जाकर प्रणाम किया और उनसे धर्मोपदेश सुनकर व्रत ग्रहण किया । व्रती श्रावक होचुकने पर संप्रतिने धर्म प्रभावनाकी ओर बड़ी दिलचस्पी से ध्यान दिया । पहिले वह दिग्विजय पर निकला और उसने अफगानिस्तान, तुर्क, ईरान आदि देश जीते। अपनी दिग्विजयसे लौटनेपर संप्रतिने जैनधर्म प्रभावक अनेक कार्य किये । कहते हैं कि उसने सवालाख नवीन जैन मंदिर बनवाये, दो हजार धर्मशालायें निर्माण कराई, सवा करोड़ जिनबिम्बों की स्थापना कराई, ग्यारह हजार वापिका और कुण्ड खुदवाये तथा छत्तीस हजार स्थानोंमें जीर्णोद्धार कराया १ - परि० पृ० ९४ व जैसा० भा० १ पृ० ८-९ वीर वंश०यहां संप्रतिको कौरवकुल मोरियवंशका लिखा है । २- गुखापरि० जैन १० ८३ ।

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