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मौर्य साम्राज्य |
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उन्होंने इस अभावकी पूर्तिके सद्प्रयत्न किये और लोगोंको देवयोनिके अस्तित्वका पता बतानेका प्रयत्न किया । देवतालोग स्वयं तो आ नहीं सक्ते थे । अतएव अशोकने उनके प्रतिबिम्ब लोगोंको . । दिखाये ।' विमान दिखलाकर वैमानिक देवताओंका दिव्यरूप लोगोंको दर्शा दिया ! इन देवताओंके इन्द्रका ऐरावत हाथी जैन लोगों में बहुप्रसिद्ध है । जब तीर्थंकर भगवानका जन्म होता है तब इन्द्र इसी हाथीपर चढ़कर आता है । आजकल भी जैन रथयात्राओं में काठ वगैरह के बने हुए ऐसे ही हाथी निकाले जाते हैं । अशोक ने भी ऐसे ही हाथी जलसमें दिखाये थे । 'अग्नि- स्कंध ' दिखलाकर अशोकने ज्योतिषी देवोंके अस्तित्वका विश्वास लोगोंको कराया प्रतीत है; क्योंकि इन देवोंका शरीर अग्निके समान ज्योति- . मय होता है । शेषमें भवनवासी देव रह गये | अशोकने इनके दर्शन भी लोगों को अन्य दिव्यरूप दिखलाकर करा दिये थे। सारांशतः अशोककी यह मान्यता भी जनों की देव योनिके वर्णन से ही समानता रखती है | इससे यह भी पता चलता है कि अशोकको ' मूर्तिपूजा' से परहेज नहीं था । जेनों के यहां तीर्थंकर भगवानकी मूर्तियां स्थापित करके पूजा करनेका रिवाज बहुप्राचीन है ।
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(८) अशोक सब धार्मिक कार्यों का फल स्वर्ग-मुखका मिलना बतलाता है । उसने मोक्ष अथवा निर्वाणका नाम उल्लेख भी नहीं किया है। बौद्ध दर्शन में 'निर्वाण' ही जीवन अथवा अर्हत् पदका अंतिम फल लिखा गया है; किन्तु अशोक उसका कहीं नाम भी
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१ - अध० पृ० १४६ - पंचम शिलाः । २-हरि० १० ११ । ३- अ६० पृ० १४७ । ४ - तत्वाध० ४।१ ।