Book Title: Sankshipta Jain Itihas Part 01 Author(s): Kamtaprasad Jain Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia View full book textPage 4
________________ www निवेदन । सुप्रसिद्ध जैन ऐतिहासिज्ञ श्री० बा० कामताप्रसादजी जैन कृत यह संक्षिप्त जैन इतिहास प्रथम भाग हमने १८ वर्ष हुए प्रकट करके "दिगम्बर जैन" के १९ वें वर्ष के ग्राहकों को भेटमें बांटा था व उसकी कुछ प्रतियां विक्रयार्थ भी निकाली थीं जो चार पांच वर्ष हुए खतम हो जानेसे इसकी मांग आती ही रहती है; क्योंकि इसके दूसरे तीसरे भाग के ५ खंड प्रकाशित हो चुके हैं, उनके साथ प्रथम भाग सव ही मंगाते हैं और वह न होनेसे पाठकों को बड़ी कठिनाई हो रही थी इसलिये इसकी यह दूसरी आवृत्ति कागज़के दुष्कालके समय में भी हमने प्रकट करना उचित समझा है ' इसवार इसमें उचित संशोधन भी श्री० बा० कामताप्रसादजीने कर दिया है, अतः आपके हम अत्यन्त आभारी हैं। क्योंकि आप अपनी सभी रचनायें निस्वार्थवृत्तिसे ही कर रहे हैं । और रात दिन जैन साहित्य सेवामें संलग्न रहते हैं । धन्य है आपकी इस साहित्यसेवाको ! निवेदक: मूलचन्द किसनदास कापड़िया, प्रकाशक । सुरत, चीर सं० २४७० कार्तिक सुदी १ त्ता. २९-१०-४३. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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