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दूसरा प्रस्ताव
इस अनादि अनंत संसार में दुःखपूर्वक भ्रमण करते हुए जीवों के विषय में मुख्य तीन नियम बताए जाते हैं । अर्थात् भवभ्रमण के मुख्यतः तीन कारण है । (१)
जीव के समक्ष प्रतिक्षण असंख्यातरूप में निमित्त उपस्थित होते हैं, यह प्रथम नियम है । (२)
दूसरा नियम है कि व्यक्ति, वस्तु, प्रसंग आदि निमित्तों से आत्मा प्रभावित होती रहती है । (३)
उन उन तत्त्वो से प्रभावित जीव प्रतिभाव का आश्रय बन जाता है और प्रत्येक भाव की प्रतिक्रिया देता है यह तीसरा नियम है । (४)
प्रश्न : स्थावर एकेन्द्रिय वनस्पति आदि में निमित्तों की उपस्थिति कैसे सम्भव है ? उत्तर : प्रकृति और मनुष्य दोनों निमित्त रूप बनते हैं । (५)
पृथ्वी को भूकम्प आदि की बाधा नैसर्गिक होती है, कुएँ आदि खुदवाने से मनुष्यकृत पीड़ा होती है । (६)
दूसरा प्रस्ताव
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