Book Title: Samraicca Kaha Vol 01
Author(s): Hermann Jacobi
Publisher: Asiatic Society

View full book text
Previous | Next

Page 870
________________ २४२] नवमो भवो। ७३७ दिहात्रो' वही दिसन्दराको कवेण । नत्व विभमवर कण्यावदाया, कामलया उण मामला, सिणिदंगणाधो य दो वि नियवहिं। . विश्वमवई गयदाई विय घौडलिया कुडमकयङ्गराया प्रहन्त विरायए, कामसया उण धोरन्दणौलमणिमई विय मरमहरियन्दणविलेवण ति। तानो य दलण चिन्तिय कुमारेण । अहो एयामि कमाया भागई, पमत्थाई अङ्गाई, निक्कल लायचं. विसद्धो पाभोचो, उवमन्ता मुत्तौ, सुन्दराई लस्कणारं, पणा धोरया, उपित्रो विणयमग्गोः अत्रो भवियब्वमेयाहिं पत्तभूयाहिं ॥ एत्व१. नारंमि वित्तो' हत्थग्गहो, जालियो अग्गो, कथं जोषियं, भमिया मण्डलादं, मंपाडिया जणोक्यारा, दिनं महादाणं, घोमिया वरवरिया, वत्तो विवाहजनो. 'मपाडिया मरौरट्टिई। परिणो वामरो, मौयानोहयं रविविम्बिं, मंारियो किरणनियरो, ममागया मंझा, कणयरमरनियं पिव जायं १५ नाङ्गणं, वियम्भिया पुब्बढिमा, ममुग्गी चन्दो, उममिया • नहमिरो, 'उवारूढो पत्रोमो ॥ एत्यन्तरंमि ममं श्रमोयाईहिं विरायन्नमणिपढौवं मंगवं कुसुमोवयारेण सेवियं भमरावोए पलम्बमाणचन्पयदामं १ A om. २ CEom पर। # CE fuafuar explained ynferil : Dadds संपुल मचायरिं। - Npadaar A .या। CE ale fairefigaret .माया पमोग्य बनी। उदयमानढो।

Loading...

Page Navigation
1 ... 868 869 870 871 872 873 874 875 876 877 878 879 880 881 882 883 884 885 886 887 888 889 890 891 892 893 894 895 896 897 898 899 900 901 902 903 904 905 906 907 908 909 910 911 912 913 914 915 916 917 918 919 920 921 922 923 924 925 926 927 928 929 930 931 932 933 934 935 936 937 938