Book Title: Samraicca Kaha Vol 01
Author(s): Hermann Jacobi
Publisher: Asiatic Society

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Page 938
________________ नवमो भवो। CAN विपित्तदेमे, मारियाणि 'देवाण, ममागया देवा, दिवाणि तेहिं, पूणियाणि भत्तौए, पथमिथाणि महरिमं, प्रविधि र तेसिं परिवत्तौए करेनि पायाणगई ति // वरकायं जं भणियं ममरागिरिसेपपाणे उ / एगम्म तो मोको ऽणतो बौयम्स मंगारो // गुरुवयणपस्यानो मोऊण कहाणयाणराण / अनिउपमहणा वि दढं बालारणग्गट्ठा // पविरपियनाणदमणचरियगुणवरम्म विश्वं यं / जिपादत्तायरियम्स " 'मोमावयवेण परियं नि // जं निररकण पुलं महाणभावरियं मए पतं / "तेण दर भवविरहो होड मया भविषाणोधम्म / गन्यग्गमिमौर इमं बन्देणाणदुहेच गणिजण / पाण्ण दममाम्मा दिमिनोयाण मठविध // (Eprelix मयन। * (Eom अवयवमग्र्यािमष। AD नंप पागची। A विरिपोच सोयम्म। D FIR मम्मयम् / Aadis पचौर (1end म) परमी विबमकामा निमि / परिभइमरिमरो निरित 'read freo दिमा मिबमोक।

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