Book Title: Samraicca Kaha Vol 01
Author(s): Hermann Jacobi
Publisher: Asiatic Society

View full book text
Previous | Next

Page 927
________________ ७६8 समराचकहा। [संक्षेपे (६४ 'सहा घट्टा मट्ठा नौरथा निमाला निपटा निकराया मप्पा मपिरौथा सम्बोवा पासादौया दरिमणिया अभिरुवा पडिहवा खेमा मिवा 'त्रमरदण्डोवर किया 'लाउलोवियमहिया गोमोसमरसचन्दण दहरदिनपञ्चङ्गाषितला उवचियचन्दणाकसमा चन्दणषणमुकयतोरणपडिदवार- । देसभागा पामत्तोमन विउलवट्टवग्धारियमलदामकथावा पञ्चवलसरमसुरभिमुक्कपुप्फपुत्रोवयारकलिया कालागुरुकुन्दुलक्षातरबधूम मधमधेनगन्धद्धयाभिरामा सुगन्धवरगन्धिया गन्धवहिभवा प्रकरगणमासंकिला दिग्पतरियमहसंपाय त्ति । देवा उण मणहरविचित्तचिन्या सुरुवा मरिडिया १० महन्गुइया महायमा महम्बला महाणुभावा महासोका हारविरारयवच्छा कउयसियथम्भियमुया मंगयकुण्डलमट्टगण्डयलकपपौडधारी विरसहत्याहरण विचित्तमालामछली कलाणगपवरवत्यपरिपिया कलाणगपवरमलाणुलेवणधरा भासरबोन्दो पलम्बवणमालाधरा दिम्बेणं वशेषां ।। दिवेणं गन्धेणं दिघेणं फासेणं दिवेणं संघयणेणं दिषणं मंठाणेणं दिखाए होए दियाए जुईए दियाए पहाए दिव्याए हाथाए दिखाए पचौए दियेणं तेएणं दिवाण १CE सा। - RAF prefix किंकर। DF शोमा ४ दारय। ५ Eom.विकृत (Dadds , Dरविचितेलिया, F विचितविनालया।

Loading...

Page Navigation
1 ... 925 926 927 928 929 930 931 932 933 934 935 936 937 938