Book Title: Ratribhojan Tyag Avashyak Kyo
Author(s): Sthitpragyashreeji
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 22
________________ (5) fast है पर वर्तमान में यह हमारा अभिन्न अंग बन गया है, चाहे उपवास हो या न हो, Break-fast यानी नाश्ता तो होगा ही और व्यक्ति जब आठ बजे उठकर नौ-दस बजे नाश्ता करेगा तो मध्याह्न का भोजन २-३ बजे से पहले ग्रहण कैसे करेगा और यदि ३ बजे भोजन करेगा तो पुन: ५-६ बजे सूर्यास्त के पूर्व आहार कैसे करेगा? अतः उसका शाम का भोजन १० बजे रात से पहले होगा नहीं और जब १० बजे खाना खायेगा तो सोएगा कब? १२ बजे सोने वाला पाँच बजे उठेगा कैसे? __इस युग में वैवाहिक प्रीतिभोज हो या सामान्य पार्टी, भोजन आदि के कार्यक्रम अधिकांशतः रात्रि में ही होते हैं। यदि दिन में करने का सुझाव दिया जाये तो जाता है कि दिन में भोजन करने आयेगा कौन? हर किसी के लिए कारोबार, स्कूल, नौकरी आदि की छुट्टी करना संभव नहीं है, इस प्रकार के तर्क देकर रात्रिभोजन को बढ़ावा देते हैं। परन्तु रात्रिभोज के पीछे नुकसान कितना है और लाभ कितना है, इस सन्दर्भ में अधिकांश लोग सोचते नहीं ? कदाचित् गहराई से चिन्तन करें तो निःसन्देह रात्रिभोजन से नफरत करने लगेंगे। बुद्धिजीवियों को इस सम्बन्ध में अवश्य विचार करना चाहिए। भिन्न-भिन्न काल तथा भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में मानव आहार विविध प्रकार का रहा है। जिसका मुख्य कारण प्राकृतिक साधनों की उपलब्धि तथा वहाँ के निवासियों की शारीरिक और मानसिक क्षमता कही जा सकती है। परंतु वर्तमान में हमारा नजरिया बदल गया है। अब व्यक्ति के जीवन का लक्ष्य मात्र भौतिक सुखों की प्राप्ति है, जिसके लिए आए दिन नए आविष्कार हो रहे हैं तथा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66