Book Title: Puja Sangraha
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 5
________________ ॥ अथ॥ ॥श्रीमद्यशोविजयजी उपाध्यायकृत नवपद पूजा प्रारंनः॥ तत्र. ॥प्रथम अरिदंतपद पूजा प्रारंनः॥ ॥ काव्यं, उपजातिवृत्तम् ॥ जप्पन्नसन्नाणमहो मयाणं, सप्पाडिहेरासण संठियाणं ॥ सदेसणाणं दिय सजाणाणं, नमो नमो होउ सया जिणाणं ॥१॥ ॥जुजंगप्रयातवृत्तम् ॥ नमोऽनंतसंतप्रमोदप्रदान, प्रधानाय जव्यात्मने नास्वताय ॥ थया जेहना ध्यानथी सौख्यनाजा, सदा सिकचक्राय श्रीपाल राजा ॥२॥ कस्यां कर्म कुर्मर्म चक चूर जेणे, नला जव्य ! नवपद ध्यानेन तेणें ॥ करी पूजना जव्य ! जावें त्रिकाले, सदा वासियो श्रातमा तेण कालें ॥३॥ जिके तीर्थकर कर्म उदयें करीने, दिये देशना नव्यने हित धरीने ॥ सदा आठ महापाडिहारें समेता, सुरेशे नरेशें स्तव्या ब्रह्मपुत्ता ॥४॥ कस्यां Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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