Book Title: Preksha
Author(s): Unknown
Publisher: Unknown

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Page 11
________________ आगम और आगमेतर स्रोत ·६ काय के पर्यायवाची शब्द तेरह है-काय, शरीर, देह वोन्दि, चय, उपचय, सघात, उच्छ्रय, समुच्छय, कलेवर, भस्त्रा, तनु और पाणु। उत्सर्ग के पर्यायवाची । उस्सग्ग-विउस्सरणा, उज्झणा य अवकिरण-छड्डण-विवेगो। वजण-चयणुम्मुअणा, पारिसाडण-साडणा चेव।। - आव० नियुक्ति १४६५ उत्सर्ग के पर्यायवाची शब्द ग्यारह है-उत्सर्ग, व्युत्सर्जन, उज्झन, अवकिरण, छर्दन, विवेक, वर्जन, त्यजन, उन्मोचना, परिशातना एव शातना। कायोत्सर्ग के प्रकार सो उस्सग्गो दुविहो, चेट्टाए अभिभवे य णायव्यो। आव० नियुक्ति १४६६ वह उत्सर्ग (कायोत्सर्ग) दो प्रकार का होता है-चेष्टा और अभिभव । कायिक ध्यान • काए वि अ अज्झप्प, वायाइमणस्स चेव जह होइ। कायवयमणो जुत्त, तिविह अज्झप्पमाहसु। 1 आव० नियुक्ति १४८४ जैसे मन मे अध्यात्म होता है, वैसे ही शरीर और वाणी में भी अध्यात्म होता है। शरीर मे एकाग्रतापूर्वक चचलता का निरोध करना कायिक ध्यान है। वचन मे एकाग्रतापूर्वक असंयत भाषा का निरोध करना वाचिक ध्यान है। मन की एकाग्रता मानसिक ध्यान है। इस प्रकार तीर्थकरो ने ध्यान के तीन प्रकार वतलाए है।

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