Book Title: Preksha
Author(s): Unknown
Publisher: Unknown

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Page 24
________________ लेश्या-ध्यान प्रयोजन लेश्या शुद्धि के लिए, भावो की विशोधि के लिए • लेस्सासोधी अन्झवसाणविसोधीए होई जनस्स। अज्झवसाणविसोधी मदलेसायस्स णादव्वा।। मूलाराधना ७११६११ लेश्या (कषाय) की मदता से अध्यवसाय की शुद्धि होती है, और अध्यवसाय की शुद्धि से लेश्या की शुद्धि होती है, भावो की शुद्धि होती स्वरूप कषाय रंजित योग-प्रवृत्ति, कर्मों का झरना • जोगपउत्ती लेस्सा कषायउदयाणुरजिया होइ। गोम्मटसार, जीवकांड, गाथा ४६० कषाय के उदय से रजित योग-प्रवृत्ति लेश्या होती है। कर्मनिस्यन्दो लेश्या। उत्तराध्ययन वृहद्वृत्ति, पत्र ६५० कर्मों का झरना लेश्या है। आत्म-परिणाम • योगवर्गणान्तर्गतद्रव्यसाचिव्यात् आलपरिणामो लेश्या। __ जैन सिद्धांत दीपिका ४।२८ योगवर्गणा के अन्तर्गत पुद्गलो की सहायता से होने वाले आत्मपरिणाम को लेश्या कहते है।

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