Book Title: Preksha
Author(s): Unknown
Publisher: Unknown

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Page 26
________________ २४ प्रेक्षाध्यान कापोत लेश्या से युक्त व्यक्ति का स्वभाव • वके वकसमायारे नियडिल्ले अणुज्जुए। पलिउधग ओवहिए मिच्छदिट्ठी अणारिए।। उत्तरायणाणि ३४।२५ • उप्फालगदुद्रुवाई य तेणे यावि य मच्छरी। एयजोगसमाउत्तो काउलेस तु परिणमे।। उत्तरज्झयणाणि ३४।२६ जो मनुष्य वचन से वक्र है, जिसका आचरण वक्र है, माया करता है, सरलता से रहित है, अपने दोषो को छुपाता है, छद्म का आचरण करता है, मिथ्यादृष्टि है, अनार्य है, हसोड है, दुष्ट वचन बोलने वाला है, चोर है, मत्सरी है जो इन सभी प्रवृत्तियो से युक्त है, वह कापोत लेश्या मे परिणत होता है। तैजस लेश्या मे युक्त व्यक्ति का स्वभाव • नीयावित्ती अचवले अमाई अकुऊहले। __विणीयविणए दते जोगव उवहाणव।। उत्तरायणाणि ३४।२७ पियधम्मे दढधम्मे वज्जभीरू हिएसए। एयजोगसमाउत्तो तेउलेस तु परिणमे।। उत्तरायणाणि ३४।२८ जो मनुष्य नम्रता से बर्ताव करता है, अचपल है, माया से रहित है, अकुतूहली है, विनय करने में निपुण है, दान्त है, समाधियुक्त है, उपधान करने वाला है, धर्म मे प्रेम रखता है, धर्म मे दृढ़ है, पाप-भीरु है, हित चाहने वाला है जो इन सभी प्रवृत्तियो से युक्त है, वह तेजोलेश्या मे परिणत होता है। पद्मलेश्या से युक्त व्यक्ति का स्वभाव • पयणुक्कोहमाणे य मायालोभे य पयणुए। पसतचित्ते दतप्पा जोगव उवहाणव।। उत्तरज्झयणाणि ३४ १२६, तहा पयणुवाई य उवसते जिइदिए। एयजोगसमाउत्तो पम्हलेस तु परिणमे।। उत्तरायणाणि ३४।३० जिस मनुष्य के क्रोध, मान, माया और लोभ अत्यन्त अल्प है, जो

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