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आगम और आगमेतर स्रोत २३
लेश्या के प्रकार • किण्हा नीला य काऊ य तेऊ पम्हा तहेव य । सुक्कलेसा य छटा उ नामाइ तु जहक्कम।। उत्तरायणाणि ३४।३ यथाक्रम से लेश्याओं के ये नाम है--(१) कृष्ण (२) नील (३) कापोत (४) तेज (५) पद्म (६) शुक्ल । कृष्ण लेश्या से युक्त व्यक्ति का स्वभाव • पचासवप्पवत्तो तीहि अगुत्तो छसु अविरओ य ।
तिव्वारभपरिणाओ खुद्दो साहसिओ नरो।। उत्तरायणाणि ३४ २१ निद्धसपरिणामो निस्ससो अजिइदिओ। एयजोगसमाउत्तो किण्हलेस तु परिणमे।। उत्तरायणाणि ३४१२२ जो मनुष्य पाचो आश्रवो मे प्रवृत्त है, तीन गुप्तियो मे अगुप्त है, पटकाय मे अविरत है, तीन आरभ (सावध-व्यापार) मे सलग्न है, क्षुद्र है, बिना विचारे कार्य करने वाला है, लौकिक और पारलौकिक दोपो की शका. से रहित मन वाला है, नृशस है, अजितेन्द्रिय है-जो इन सभी से युक्त है, वह कृष्ण लेश्या में परिणत होता है। नील लेश्या से युक्त व्यक्ति का स्वभाव • इस्साअमरिसअतवो अविज्जमाया अहीरिया। गेद्धी पओसे य सढे पमत्ते रसलोलुए सायगवेसए य।
उत्तरायणाणि ३४१२३ आरभाओ अविरओ खुद्दो साहसिओ नरो। एयजोगसमाउत्तो नीललेस तु परिणमे।। उत्तरल्झयणाणि ३४।२४ जो मनुष्य ईर्ष्यालु है, कदाग्रही है, अतपस्वी है, अज्ञानी है, मायावी है, निर्लज्ज है, गृद्ध है, प्रद्वैप करने वाता है, शठ है, प्रमत्त है, रस-लोलुप है, सुख का गवेपक है, प्रारम्भ से अविरत है, क्षुद्र है, विना विचारे कार्य करने वाला है जो इन सभी से युक्त है, वह नील लेश्या मे परिणत होता है।