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३८ प्रेक्षाध्यान
परिणाम तितिक्षा के लिए • कायासुखतितिक्षार्थ सुखासक्तेश्च हानये।
धर्मप्रभावनार्थञ्च, कायक्लेशमुपेयुषे।। महापुराण २०१६१ कायिक दु खो की तितिक्षा, सुखासक्ति की हानि और धर्म प्रभावना के लिए कायक्लेश मे अपने आपको नियोजित करना चाहिए।
उड्ढजाणू अहोसिरे झाणकोहोवगए सजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणे विहरइ।।
भगवई १1१।६ इन्द्रभूति अणगार ऊर्ध्वजानु, अध सिर और ध्यान कोष्ठ मे लीन होकर सयम और तप से अपने आपको भावित करते हुए रहे है।