Book Title: Preksha
Author(s): Unknown
Publisher: Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 17
________________ आगम और आगमेतर स्रोत १५ निर्दिष्ट है । एक चरण के चिन्तन मे जितना समय लगता है उतना श्वास-प्रश्वास का कालमान होता है। परिणाम अव्यय चेतना का विकास • सहिए दुक्खमत्ताए पुट्ठो णो झझाए । आयारो ३ । ६६ श्वास को नियत्रित और शात करनेवाला दुख मात्रा से स्पृष्ट होने पर व्याकुल नही होता । १ सहितो द्विविध प्रोक्त, प्राणायाम समाचरेत् । सगर्भोवीजमुच्चार्य, निगर्भो बीजवर्जित ।। घेरण्ड संहिता ५।४६ सहित सूर्यभेदश्च उज्जायीशीतली तथा । भस्त्रीका भ्रामरी मुर्च्छा केवली चाट कुम्भका ।। घेरण्ड संहिता ५।४५

Loading...

Page Navigation
1 ... 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41