Book Title: Pravachan Sara Tika athwa Part 02 Gneytattvadipika Author(s): Shitalprasad Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia View full book textPage 9
________________ ९९ कमका अनुभाग भेद ६० आत्मा व्यवहारनयसे बन्धरूप है ६१ निश्चय और व्यवहारका अविरोध ९९ १०० १०१ ६२ अशुद्ध नय से अशुद्ध आत्माका लाभ होता है १०२ ६३ शुद्धनयसे शुद्ध आत्माका लाभ होता है १०३ ६४ ज्ञानी शुद्ध आत्माकी भावना करता है १०४ ६५ शरीरादि भिन्न हैं इनकी चिता न करनी चाहिये १०५ १०६ १०७ ६८ आत्मध्यान ही आत्मशुद्धिका साधक है १०८ ६९ परमात्मा क्या ध्याते हैं ? ७० शुद्धात्माकी प्राप्ति ही मोक्ष मार्ग है ७१ आचार्य स्वयं निर्ममत्वभावको स्वीकार करते हैं ६६ शुद्धात्माके लाभका फल ६७ मोहकी गाठ कटनेका फल ७२ अंतिम मंगलाचरण ७३ ज्ञेयाधिकारका सार ७४ भाषाकारका परिचय गाथा 6080 ३५५ ३५८ ३६० ३६२ १०९-११० ३६६ १११ ३७२ ११२ १५३ ... 吧 ३४२ ३४४ ३४५ ३४९ ३५१ ३५३ ३७५ ३७८ ३८१ ३९२Page Navigation
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