Book Title: Pravachan Sara Tika athwa Part 02 Gneytattvadipika
Author(s): Shitalprasad
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 7
________________ गाथा टट १९ जीवके ज्ञान चेतना, कर्म चेतना ३२-३४ १६९ कर्मफल चेतना २० भेदज्ञान भावनाका फल २१ जीव अजीवका लक्षण २२ लोकाकाश, अलोकाकाशका स्वरूप २३ द्रव्य सक्रिय नि क्रिय भेद वा अर्थ ३८ १६५ व्यजन पर्याय भेद २४ विशेष गुणों के भेदसे द्रव्योमें भेद है ३९-४० १७० २५ मूर्तिक पुद्गलके मूर्तिक गुण .... ४१ १७४ २६ अमूर्तिक द्रव्योंके गुण.... ४२-४३ १८१ २७ पांच अस्तिकाव .... ४४-१५ १८४ २८ द्रव्योंका स्थान लोकाकाश २९ प्रदेशोंका वर्णन ४७ १९३ ३० काल द्रव्यका वर्णन .... .... ४८-४९ १९४ ३१ प्रदेशका स्वरूप .... ५० २०१ ३२ तिर्यक् प्रचय ऊर्ध्वं प्रचयका स्वरूप ५१ २०४ ३३ कालका उत्पाद व्यय ध्रौव्य .... ५२-५३ २०८ ३४ काल एक प्रदेशी है .... .... ५४ २१४ ३९ ज्ञाता ज्ञेयकी भिन्नता.... .... ५५ २२० ३६ जीवके व्यवहार चार प्राण .... ५६-५७ २२२ ३७ व्यवहार प्राण पुद्गलमई हैं - .... ५८-५९ २२४ ३८ प्राण नवीन बंधके कारण हैं .... ६०-६१ २२८ . . . .

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