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प्रचार मा
मध्यम स्थितिके व्यवहार कुशल, उद्योगी, धर्मात्मा तथा विद्याप्रेमी हैं । यहांकी जैन समाजके सामाजिक सगमके प्रेम और उत्साहसे १२००) रुपये माहवारी खर्चसे चलनेवाली जेन हाईस्कूल और श्रीमान् ब्रह्मचारी शीतलप्रशादनीके करकमलोंसे स्थापित संस्कृत धर्म विद्यालय नामकी संस्थायें बरावर काम कर रही हैं। ___मंदिरोंका प्रबंध भी अत्युत्तम है । गत वर्षके चौमासेकी उप स्थितिमें उक्त ब्रह्मचारीनीकी ही प्रेरणासे पानीपतके खिरनीसरायके मुहल्लेमे पंचायतकी तरफसे एक चैत्यालय बन रहा है। गत साल यहांकी जैन समाजने करनाल जिलेके ग्रामवासी जैनियोंका अज्ञानरूप अंधकार हटानेके लिये उपदेशको द्वारा जैन धर्मका प्रचार भी कराया था।
इसी नगरमें अग्रवाल वशके सिंहल गोत्रमें लाला इच्छारामजीके घर लाला कुसुंभरीदासजी उत्पन्न हुए जिनके पुत्ररत्न लाला बद्रीदासनी हुए इन्होंने अपने पुण्योदय तथा उद्योगालसे वर्तमान गवर्नमेन्टसे-पेशावर, नौसेरा, रिसालपुर, रावलपिड़ी, स्यालकोट, लाहौर, फीरोजपुर, जालंघर, अम्बाला, मेरठ, मथुरा, लखनऊ, कानपुर, फैजावाद, इलाहाबाद, दानापुर, कलकत्ता, मऊ छावनी, नसीराबाद और नीमच शहरके सेनाविभागकी कोषाध्यक्षता प्राप्त की जिससे बहुत कुछ द्रव्य और यशका उपार्जन किया । आप धर्मात्मा और दानशील भी थे। आपने विक्रम सं० १९६२में विरादरीके अनुमान साईसौ ६५० आदमियोंको साथ लेकरके तीर्थक्षेत्र श्री गिरनारनीका संघ चलाया था और उसके कुछ . वर्ष बाद संवत् १९६६ में तीर्थक्षेत्र श्री हस्तिनापुरजीका भी
अग्रवाल वशक
जिनके पुत्ररत्न