Book Title: Prasad Manjari Author(s): Prabhashankar Oghadbhai Sompura Publisher: Balwantrai Sompura View full book textPage 9
________________ प्रस्तावना देशकी संस्कृतिका मूल्य प्राचीन स्थापत्य और साहित्य पर निर्भर है। विद्या और कला देशका अनमोल धन है। शिल्प स्थापत्य मानव जीवन का अत्यंत उपयोगी और मर्मसे भरा हुआ अंग है। असके द्वारा ही प्रजा जीवनका विकास, सुघडता, ध्येय, कलाप्रियता स्पष्ट देखनेमें आता है। यह फन हृदय और चक्षु दोनों को आकर्षित करता है। शिल्प सांदर्य मात्र तरंग नहीं है किन्तु हृदयका भरपूर भाव है। जगतमें भारतीय स्थापत्य अच्च कोटिका और गौरवान्वित करे असा है। धर्मबुद्धिसे प्रेरित होकर भारतमें सर्व साहित्यका प्रारंभ हुआ है। इससे शिल्प शास्त्रभी धर्मभावना के साथ संकलित हुआ है और असकी बुद्धि पूर्वककी रचना प्राचीन ऋषि मुनियोंने की है। प्रागैतिहासिक कालमे संसारके प्रत्येक प्राणीको शीत. ताप वर्षा आदि विविध प्राकृतिक कठिनाभी के सामने अपनी रक्षाकी जरूरत महसूस हुअी। अिसीसे वास्तु विद्याका प्रारंभ स्थूलरूपसे आदि कालसे हुआ मनाया जाय । जिस तरह भूचरोंने जमीनमें बिल वनाया, खेचरोंने घोंसला बनाया, असी तरह मनुष्यने भी घासफूसकी पर्णकुटी बनायी या तो पहाडोमें गुफा खोज वास किया है । अिस तरह मानव निवास के प्रारंभ के बाद सामुहिक वासका ग्राम स्वरूप और बादमें नगररूप देखनेमे आता है । मानव सभ्यताके साथ ही शिल्प विज्ञानका विकास क्रमशः होता रहा । भारतीय वास्तुविद्या का प्रारंभ काल बहुत प्राचीन है। वेद, ब्राह्मणग्रंथ, पुरान, गमायण, महाभारत, जैन आगम ग्रंथ; बौद्धग्रंथ, संहिता, और स्मृति ग्रंथोंमें भी वास्तुविद्याके अल्लेख पाये जाते हैं। ऋग्वेदादिमें वास्तुविद्याके वर्णन और अन्य उल्लेख जव नजर आते है तब ज्ञात होता है कि जिनके भी पूर्व कालमे यह विद्या व्यवहारमें होनी चाहिये। अथर्व वेदके सूक्तों में स्थापत्य कलाके बारेमें बहुत कुछ कहा है। शिल्प शब्दका प्रथम · झुपयोग ब्राह्मणग्रन्थोंमें हुआ है। प्रतिमा पूजनका प्रारंभ वैदिक ब्राह्मण युगमें हुआ है । आश्वलायन गृह्यसूत्र और अन्य सूत्रप्रथोमें वास्तुविद्याके कितने सिद्धांत देखने मिलते है । सामवेदमें गृह्यसूत्र गोभिल में वास्तुविद्याके सिद्धांत दिये है। घरका द्वार किस दिशामें रखना, अिसका फल क्या है, किन किन दिशा या विदिशाओं में कौन कौनसे वृक्ष बोना, भूमिफल, स्तुति, भूमि परीक्षा, रस, वर्ण, गंध, प्लव (ढाल) और आकार परसे कहे है।Page Navigation
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