Book Title: Prakrutanand
Author(s): Jinvijay
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 67
________________ पण्डित रघुनाथ-कवि-विरचित हुवह, हविधानं इत्थ(स्था)बाधनार्थम् । बभूव- होम हुवेमु हुवमु । बभूविम= होमो हुवेमो हुवमो। मोविधानं मु-मयोर्वाधार्थम् । इति लिट् । अथ लुट् धातोर्भविष्यति हिः॥ ३३३ ॥ भविष्यति काले धातोः परे हिः स्यात्। भविता=होहिइ हुवेहिइ हुवहिइ। एच्च क्त्वा-तुमन्-तव्य-भविष्यत्सु ॥ ३३४ ॥ एषु अत एत्वं स्यात्, चादिश्च । हुविहिइ हुवेहिए हुवहिए हुविहिए होज होजा हुवेज हुवज हुवजा होजहिइ होजेहिइ होजाहिइ होउ हुवेउ हुवउ । भवितारः होहिं ति हुवेहिंति हुविहिंति हुवर्हिति होन्तु हुवेन्तु हुवन्तु । भवितासि-होहिसि हुवेहिसि हुवहिसि हुवेहिसे हुवहिसे होसु हुवेसु हुवसु । भवितास्थ- होहिहा हुवेहिह हुवहिह होह हुवेह हुबह । उत्तमे स्सा हा च ॥ ३३५ ॥ भविष्यत्युत्तमे परे धातोः परौ स्सा हा इत्येतौ स्याताम् । चात् हिः। मिना स्सं वा ॥ ३३६ ॥ भविष्यति मिना सह धातोः परः स्सं वा स्यात् । भविष्यामि होस्सामि हुवेस्सामि हुवस्सामि होहामि हुवेहामि हुवहामि हुवाहामि होहिमि हुवेहिमि हुवाहिमि हुवहिमि होस्सं हुवेस्सं हुवस्सं होमु हुवेमु हुवामु हुवमु। मो-मु-मैहि-स्सा-हित्था ॥ ३३७ ॥ भविष्यति मो-मु-मैः सह हिस्सा हित्था इत्येतावादेशौ वा स्याताम् । भवितास्मः= होहिस्सा हुवेहिस्सा हुविहिस्सा हुवाहिस्सा हुवहिस्सा होहित्था हुवेहित्था हुविहित्था हुवाहित्था हुवहित्था होस्सामो हुवेस्सामो हुविस्सामो हुवस्सामो होहामो हुवेहामो हुविहामो हुवाहामो हुवहामो होहिमो हुवेहिमो हुविहिमो हुवाहिमो हुवहिमो होमो हुवेमो हुविमो हुवामो हुवमो । इति लुट् । __ अथ लट् । भविष्यति होहिइ हुवेहिइ हुवहिय हुवेहिए हुवहिए। भविष्यन्ति = होहिन्ति हुवेहिन्ति हुवहिन्ति । भविष्यसिहोहिसि हुवेहिसि हुवहिसि हुवेहिसे हुवहिसे । भविष्यथ = होहिह हुवेहिहहुवहिह होहित्थ हुवइत्थ हुवित्थ । भविष्यामि होस्सामि हुवेस्सामि हुवस्सामि होहामि हुवेहामि हुघाहामि हुवहामि होहिमि हुवेहिमि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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