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परिजनों का सम्मान करो, प्रेमीजनों के प्रति उपेक्षा मत करो और मित्रजनों का अनुमोदन करो, यही सज्जनों का सही मार्ग है ।
-कुवलयमाला ( अनुच्छेद ८५)
सत्य
सच्चं...... पभासकं भवइ सव्व भावाणं॥ सत्य-समस्त भावों-विषयों को प्रकाशित करता है ।
-प्रश्नव्याकरण सूत्र ( २/२)
सच्चं............लोगम्मि सारभूयं, ...गंभीरतरं महासमुद्दाओ। सच्चं......सोमतरं चंद मंडलाओ,
दित्ततरं सूर मंडलाओ । संसार में 'सत्य' ही सारभूत है। सत्य महासागर से भी अधिक गम्भीर है । सत्य चन्द्रमण्डल से भी अधिक सौम्य है और सूर्य मंडल से भी अधिक तेजस्वी है।
--प्रश्नव्याकरण सूत्र ( २/२)
तं सच्चं भगवं।
सत्य ही भगवान है।
-प्रश्नव्याकरण सूत्र ( २/२)
सच्चं च हियं च मियं च गाहणं च । ऐसा सत्य बोलना चाहिये, जो हित, मित और ग्राह्य हो ।
-प्रश्नव्याकरण सूत्र ( २/२) सच्चं पिय संजमस्स उवरोह कारक किंचि वि न वत्तव्वं । सत्य भी यदि संयम का घातक हो तो नहीं बोलना चाहिये।
-प्रश्नव्याकरण सूत्र ( २/२)
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