Book Title: Prakrit Ratnakar Author(s): Prem Suman Jain Publisher: Rashtriya Prakrit Adhyayan evam Sanshodhan Samsthan View full book textPage 7
________________ इस ‘प्राकृत रत्नाकर' ग्रन्थ को विश्वकोश (इनसाइक्लोपीडिया) के पेटर्न पर तैयार किया गया है। इसमें अकारादि वर्णक्रम से प्राकृत के ग्रन्थ, ग्रन्थकार, प्राकृत भाषा, प्राकृत की प्रमुख संस्थाएँ, विभाग, प्राकृत के सम्पादक, विद्वान आदि के विषय में संक्षिप्त जानकारी दी गयी है। अब तक की प्रकाशित उपलब्ध सामग्री को आधार बनाया गया है। सुगमता की दृष्टि से प्रत्येक प्रविष्टि के नीचे सन्दर्भ नहीं दिए गए हैं, किन्तु जानकारी प्रामाणिक रखी गई है। अतः यह ग्रन्थ प्राकृत प्रेमियों, शोधार्थियों और विद्वानों सभी के लिए उपयोगी साबित होगा। अब तक प्रकाशित प्राकृत ग्रन्थों और शोधकार्य की सूची भी परिशिष्ट में दी गई है। प्रविष्टियाँ प्रचलित नामों से हैं, प्राकृत में सभी शीर्षक नहीं हैं। अकारादिक्रम में प्रविष्टियाँ होने से ग्रन्थ में उसी क्रम में अनुक्रम देना आवश्यक नहीं लगा। यह सूची परिशिष्ट में दी गयी हैं। इस कोश ग्रन्थ में कुछ सामग्री रिपीट हो सकती है, किन्तु कोश ग्रन्थों में प्रायः ऐसा होता है। स्पष्ट है कि इस ग्रन्थ में सम्मिलित प्राकृत की प्रविष्टियाँ पूर्ण नहीं हैं। इनमें प्रतिवर्ष सामग्री जुड़ती रह सकती है। जो कुछ छूट गया उसे आगे जोड़ा जा 'सकता है। अतः यह एक आधार विश्वकोश बना है प्राकृत का, जिसमें आगे के विद्वान् अपना योगदान/मार्गदर्शन करते रह सकते हैं। प्राकृत के विद्वानों के सुझावों का स्वागत रहेगा। इस विश्वकोश को तैयार करने में सहयोगियों, मित्रों और परिवार जनों का पूरा सहयोग मिला है। विशेषकर डॉ. श्रीमति सरोज जैन एव चि. लवेश जैन ने प्रेस कापी तैयार करने में मदद की है, उन्हें आशीर्वाद । सभी ग्रन्थकारों और सम्पादकों के प्रति भी आभार। इस पुस्तक का कम्प्यूटर-कार्य कई स्तरों पर हुआ है। इसके लिए श्री आशीष होतीलाल जैन ने पूरा सहयोग किया है, उन्हें धन्यवाद। पुस्तक के प्रकाशक का आभार, जिन्होंने इस ग्रन्थ को आकर्षक रूप में प्रस्तुत किया है, परमपूज्य भट्टारक जी के प्रति विनम्र वन्दना। बाहुबली प्राकृत विद्यापीठ परिवार के प्रति आभार और श्रीमान् तेजराज जी बांठिया, बैंगलोर, के प्रति प्रकाशन-सौजन्य-सहयोग हेतु कृतज्ञता-ज्ञापन । 22 अप्रैल, 2012 -प्रेम सुमन जैन (V)Page Navigation
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