Book Title: Prakrit Hindi Vyakaran Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 8
________________ पुस्तक में प्राकृत के संज्ञा-सर्वनाम विभक्तियों को हिन्दी भाषा में सरलता से समझाने का प्रयास किया गया है। यह पुस्तक विश्वविद्यालयों के संस्कृत विभागों के प्राकृत अध्ययनार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी, ऐसी आशा है। यहाँ यह जानना आवश्यक है कि संस्कृत-ज्ञान के अभाव में भी अध्ययनार्थी 'प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)' के माध्यम से प्राकृत भाषा का समुचित ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे। श्रीमती शकुन्तला जैन एम.फिल. (संस्कृत) ने बड़े परिश्रम से 'प्राकृतहिन्दी व्याकरण (भाग-1)' को तैयार किया है जिससे अध्ययनार्थी प्राकृत भाषा को सीखने में अनवरत उत्साह बनाये रख सकेंगे। अतः वे हमारी बधाई की पात्र हैं। . पुस्तक-प्रकाशन के लिए अपभ्रंश साहित्य अकादमी के विद्वानों विशेषतया श्रीमती शकुन्तला जैन के आभारी हैं जिन्होंने 'प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)' लिखकर प्राकृत के पठन-पाठन को सुगम बनाने का प्रयास किया है। पृष्ठ संयोजन के लिए फ्रेण्ड्स कम्प्यूटर्स एवं मुद्रण के लिए जयपुर प्रिण्टर्स धन्यवादाह है। प्य क्ष . जस्टिस नगेन्द्र कुमार जैन पूनमचन्द्र शाह डॉ. कमलचन्द सोगाणी संयुक्त मंत्री संयोजक प्रबन्धकारिणी कमेटी . जैनविद्या संस्थान समिति दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी जयपुर .... वीर निर्वाण संवत्-2538 20.09.2012 (vii) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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